देहरादून।
ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने विष्णुपुरम मोथोरोवाला में चल रही श्रीमदभागवत महापुराण के अंतिम दिन शनिवार को भव्य कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि रजो गुण जीतने के बाद सात्विकता आती है। तमो गुण जीतने पर कार्य करने समृद्धि संपन्नता होती है।
कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि वैदिक धर्म में सनातन धर्म का पालन करते हुए भोग प्रवत्ति से नाता जोड़ना रजो गुण की प्रधानता होने में ये सब काम होते है। तमो गुण की प्रधानता होने पर मन मे दुख व दूसरे को दुख देना कभी मोह कभी शोक कर्तब्य अकर्तब्य का पूर्ण परिज्ञान अछि बात करने पर भी जो बुरी लगे उस व्यक्ति का तमो गुण होता है। सतो गुण जहाँ बढ़ा हो व्यक्ति में तपो भाव सर्व सामर्थ जैसे धृतराष्ट्र गांधारी कुंती विदुर आदि का श्राद्ध कर्म करने के बाद स्वर्गारोहण की ओर गए पांडव कुशल क्षेम पूछकर विदुर की ओर गए सतोगुण की प्रधानता होने पर विदुर जी आप धर्म स्वरूप में विराजमान हुए और आप इनका दाह पिंड संस्कार नही करेंगे । युधिष्ठिर के लौटने के बाद कुंती ने व्यास का स्मरण किया और कहा मेरे कर्ण का दर्शन कराओ गांधारी बोली मेरे अर्जुन का दर्शन कराओ व्यास जी ने सतो गुण स्वरूपिणी मैया का स्मरण किया व शक्ति की कृपा से तीनों माताओ को दर्शन कराए । पुनः रजो गुण भाव उतपन्न न हो जाये व्यास जी ने उसी शक्ति के द्वारा तीनो को निज धाम में भेजा।
रजो गुण की प्रधानता पर अर्जुन भीम जैसे सत्ता सामंजस्य बनाये रखने का भाव स्वतः आता है। तमोगुण होने पर दुर्योधन सकुनी जैसा स्वसुख व दूसरे को दुख देने के भाव मे सर्वस्व नाश होता है। उस मूल प्रकति के तीनों स्वरूपो में मनुष्य में तीनों भाव जागृत होते है। वही सुख दुख एवम विनाश की ओर ले जाते हैं आदि प्रसंगों में श्रोता गण भाव विभोर हुए। आज मुख्य रूप से आयोजकों के द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।
आज विशेष रूप से सरोज कंडवाल, हरीश, गिरीश, रवीश, नारायण दत्त, मोहनलाल, विवेकानंद, कुलानंद, सोनी देवी, अमिता, संध्या, कलावती, कंठी देवी, प्रभा देवी, सारथी, आदित्य, दिव्यांश, अविनीत, आरव, यीशु, अनिता भट्ट, भगवानी देवी, गोदम्बरी भट्ट, दुर्गेश, सोना देवी, गौरव, आरुषि, वीरेंद्र रावत, गणेश रावत, राजीव गुप्ता, कैलाश झिलडियाल, महासचिव गढ़वाल सभा गजेंद्र भण्डारी, सन्तोष तैलवाल, हरीश तैलवाल, मधु उपाध्याय, आचार्य सुबोध नवानी, आचार्य विजेंद्र ममगाईं, आचार्य सुनील ममगाईं, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य हिमांशु, अध्यक्ष विद्वत सभा उत्तराखंड आचार्य जय प्रकाश गोदियाल, आचार्य हिमांशु मैठाणी, आचार्य सूरज पाठक, दिनेश, अनिता भट्ट कंडवाल, उषा कंडवाल, प्रभा उनियाल, सुरेश जोशी आदि मौजूद रहे।