देहरादून।
उत्तराखंड राज्य नेपाली भाषा समिति , गोर्खाली सुधार सभा एवं सहयोगी संस्थाओं के तत्वाधान में शुक्रवार को अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की 109वीं जन्म जयन्ती समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर शहीद मेजर दुर्गामल्ल के भतीजे मेजर राजेंद्र मल्ल को भी सम्मानित किया गया ।
गोर्खाली सुधार सभा के मानेकशाॕ सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि इंजिनियर मेक बहादुर थापा,पूर्व महाप्रबंधक जल विद्युत निगम लिमिटेड, गोर्खाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम सिंह थापा , उत्तराखण्ड राज्य नेपाली भाषा समिति के अध्यक्ष मधुसूदन शर्मा एवं पदाधिकारियों ने शहीद मेजर दुर्गामल्ल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप जलाकर किया।
मीडिया प्रभारी प्रभा शाह ने बताया कि मानेकशाॕ सभागार में आयोजित आयोजन में कार्यक्रम अध्यक्षा पूजा सुब्बा ने सभी अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया। रीता विशाल ने शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी के जीवन परिचय से सभी को अवगत कराया । देविन शाही एवं सभाके कम्प्यूटर प्रशिक्षुओं ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुतियों से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। छोटी बालिका आशी ने नृत्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री श्याम राना एवं प्रभा शाह ने किया।
इस अवसर पर कारगिल युद्ध में शहीद लैफ्टिनेंट गौतम गुरूंग( सेना मैडल) के पिताजी ब्रिगेडियर पी०एस०गुरूंग ( युद्ध सेवा मेडल) एवं शहीद मनोज राना की वीरमाता श्रीमती उषा रानाजी को शाॕल ओढ़ाकर पौधा देकर सम्मानित भी किया गया ।
समारोह में गोदावरी थापली, शमशेर सिंह बिष्ट , महामंत्री श्याम राना, उपाध्यक्ष राजेंद्र मल्ल, गोपाल क्षेत्री , मेजर हबी जंग गुरूंग, विष्णु प्रसाद गुप्ता, सभा के शाखा अध्यक्ष एचबी राना, डीएस भंडारी, पीडी लिम्बू, सीके राई, कै. आरडी शाही, कै वाई बी थापा, लक्ष्मण लामा, भोपाल सिंह,थापा, विनय गुरूंग , जितेंद्र खत्री, कै.डीके प्रधान सरोज गुरूंग, सुनीता क्षेत्री, निर्मला थापा, पुष्पा क्षेत्री, रेखा थापा, वंदना बिष्ट , नीरा थापा, मीनू राना, संध्या थापा, मोनिका गुरूंग आदि मौजूद रहे।
जीवन परिचय
शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी (1जुलाई 1913 –25 अगस्त1944 ) आजाद हिंद फौज के प्रथम गोर्खा सैनिक थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी | दुर्गा मल्ल का जन्म 1जुलाई 1913 को देहरादून के निकट डोईवाला में गोर्खा राईफल्स के नायब सुबेदार गंगाराम मल्ल क्षेत्री एवं पार्वती देवी के घर में हुआ । वे बचपनसे ही बहादुर और प्रतिभा वान थे। उन्होंने गोर्खा मिलट्री इंटर कालेज में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की |
सन् 1931 में मात्र 18 वर्ष की आयु में दुर्गा मल्लजी 2/1 गोर्खा राईफल्स में भर्ती हो गये।
लगभग 10 वर्ष तक सेवारत रहने के बाद जब 01 सितम्बर 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा ” आजाद हिंद फौज ” का गठन हुआ, जिसमें दुर्गा मल्ल की भूमिका बहुत सराहनीय थी। जिससे प्रभावित होकर नेताजी ने उन्हें मेजर की पदवी से नवाजा। बाद में उन्हें गुप्तचर शाखा का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया 27 मार्च 1944 को महत्वपूर्ण सूचनाऐं एकत्र करते समय मेजर दुर्गा मल्ल को अंग्रेजी सेना ने मणिपुर में कोहिमा के पास उखरूल में पकड़ लिया। युद्धबंदी बनाने और मुकदमें के बाद उन्हें बहुत कठिन यातनाएँ दी गईं और उन्हें माफी माँगने को कहा गया। परंतु आजादी के दीवाने दुर्गा मल्ल ने माफी नहीं माँगी।
15 अगस्त 1944 को उन्हें लालकिले की सैंट्रल जेल में लाया गया और दस दिन बाद 25 अगस्त 1944 को उन्हें फाँसी के फंदे पर चढा़ दिया गया। जाँबाज वीर मेजर दुर्गा मल्ल ने हँसते हँसते माँ भारती की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।