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अन्याय करना ही नही, अन्याय सहना भी पाप है: शिव प्रसाद ममगाईं

अन्याय करना ही नही, अन्याय सहना भी पाप है: शिव प्रसाद ममगाईं
देहरादून। रायपुर रोड अधोइवाला स्थित शिव लोक कॉलोनी में चल रही भागवत कथा के अंतिम दिन आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि अन्याय करना ही नही बल्कि सहना भी बड़ा पाप है।

गुरुवार को कथा में भगवान श्रीकृष्ण – अर्जुन प्रसंग का मनोहारी वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण उदारता और मर्यादा की प्रतिमूर्ति थे। द्वारिका में बसने के बाद उन्होंने संत, महात्माओं और ब्राह्मणों के चरण प्रक्षालन का कार्य अपने जिम्मे लिया था। साक्षात परब्रह्म परमात्मा की उदारता का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा।
गुरुवार को कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अन्याय के विरुद्ध धर्म प्रेमियों का संगठित होने जरूरी है। वर्तमान समय मे धर्म पारायण देश की अस्मिता के लिए खतरा है। देश के सभी संप्रदायों निम्बार्क, रामानुज आदि भक्त जनों को नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए संगठित होना चहिये। भगवान राम ने सभी अवतार धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए हुआ था। अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा था कि दुर्जन और अत्याचारी के साथ सहनशीलता और विनम्रता का व्यवहार करना पाप के समान है। वीरों का धर्म कायरता कभी नही हो सकता। उन्हें दुर्जनों के खिलाफ शस्त्र उठाना ही चहिये। अंतिम दिन कथा का समापन पूर्णाहुति और भंडारे के साथ हुआ इस दौरान जीवानंद पहलवान, प्रेम बल्लभ थपलियाल, कांता प्रसाद, उमेश जुयाल, शकुंतला भट्ट, सुशील, वंदना, संतोषी, सार्थक, कैलाश ध्यानी, ललित पंत, शारदा ध्यानी आदि मौजूद रहे।

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