विश्व कैंसर दिवस: उत्तराखंड में गढ़वाली भाषा में होंगी महिलाएं कैंसर के प्रति जागरूक,
देहरादून।
महिलाओ में बढ़ते हुए स्तन कैंसर के मामलो को देखते हुए विशेषज्ञों का यह मानना है कि महिलाओं को होने वाले स्तन कैंसर का शुरुवाती चरणों में पता लगना इस बीमारी से लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण है ।
इसी उद्देश्य के साथ विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की अग्रणी महिला स्वास्थ्य एवं कैंसर जागरूकता संस्थान कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड में स्तन कैंसर जागरूकता के प्रचार एवं प्रसार के लिए, एवं स्तन कैंसर के मामलो की शुरुवाती चरणों में पहचान के लिए गढ़वाली भाषा में एक वीडियो जारी किया गया है।
संस्थान की अध्यक्षा डॉ सुमिता प्रभाकर का कहना है कि पिछले कई वर्षों में उत्तराखंड में कार्य करने के दौरान उन्होंने यह पाया कि उत्तराखंड की महिलाएं गढ़वाली भाषा में ज्यादा सजग हैं और उनकी अपनी भाषा में यदि कोई ऐसा ज्ञान वर्धक वीडियो बने तो वह उससे प्रभावित जरूर होंगी।
इसलिए कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा गढ़वाली भाषा में ‘स्वयं स्तन परीक्षण कैसे करें’ विषय पर वीडियो बनाया गया है । यह वीडियो संस्थान की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, फेसबुक इंस्टाग्राम और ट्विटर पर उपलब्ध है।
क्या होता है स्वयं परीक्षण
स्वयं स्तन परीक्षण एक बहुत ही सरल परीक्षण है इसके लिए महिलाओं को किसी डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता नहीं होती महिलाएं घर में ही अपनी जांच स्वयं कर सकती हैं इसका फायदा यह है कि महिलाओं को किसी भी असामान्य लक्षण का स्वयं पता लग जाता है ।
किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण मिलने पर महिलाएं तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं जिससे स्तन कैंसर का पता शुरुआती चरण में ही लगाया जा सकता है। रिसर्च बताती हैं कि यदि स्तन कैंसर का पता शुरुआती चरणों में लग जाए तो सही इलाज की संभावना बहुत अधिक होती है, जिससे कई महिलाओं की जान बचाई जा सकती हैं।
उत्तराखंड में स्तन कैंसर के आंकड़ों में बढ़ोतरी हो रही है इसका एक प्रमुख कारण जागरूकता की कमी और महिलाओं को स्वयं स्तन परीक्षण और शुरुआती लक्षणों की जानकारी का अभाव है ।
गढ़वाली भाषा में कैन पप्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा इससे पहले भी एक मोबाइल ऐप बनाया गया है जोकि 5 भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, गढ़वाली, कुमाऊनी और अवधि मैं उपलब्ध है । यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर कैन ऐप के नाम से उपलब्ध है ।
उत्तराखंड में स्तन कैंसर मृत्यु दर में आ सकती है कमी
कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन के अध्यक्षा डॉ सुमिता प्रभाकर ने कहा कि उत्तराखंड में स्तन कैंसर जागरूकता के लिए यह बहुत आवश्यक है कि यहां की सभी महिलाओं को स्वयं स्तन परीक्षण की पूरी जानकारी उपलब्ध हो और महिलाओं को इस परीक्षण को प्रत्येक माह करने की आदत पड़े । यदि ऐसा होता है तो कुछ ही वर्षों में उत्तराखंड में स्तन कैंसर के कारण होने वाली मौतों में गिरावट देखी जा सकती हैं ।
डॉ सुमिता प्रभाकर बताती है कि जल्द ही कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन अन्य भाषा में भी इस वीडियो को बनाएगी जिसमें कुमाऊनी और जौनसारी प्रमुख होंगे ।
इस अवसर पर डॉ सुमिता प्रभाकर ने सरकार से निवेदन किया है कि इस वीडियो को सभी सरकारी अस्पतालों के वेटिंग एरिया में दिखाया जाए जिससे अधिक से अधिक महिलाएं इस वीडियो का लाभ ले सके और स्तन कैंसर के प्रति जागरूक हो सके।