देहरादून।
सनातन धर्म सभा गीता भवन में चल रामकथा में श्रीरामचरितमानस में कर्मयोग विषय पर स्वामी मैथिलीशरण ने कहा, गुरु वशिष्ठ उन ज्ञानियों में हैं जिनके अंदर भक्ति की प्रधानता है, इस कारण उनके चरित्र में समय समय पर दोनों पक्ष दिखाई देते हैं।
कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार दशरथ जी के द्वारा पुत्र प्राप्ति की कामना के अवसर पर वे उन्हें धैर्य की बात कहकर पुत्रेष्टियज्ञ की विधि की ओर प्रेरित करते हैं। जिसका सुपरिणाम श्रीराम, श्रीभरत, श्रीलक्षमण और श्रीशत्रुघ्न के रूप में हुआ, पर वे ही गुरु वशिष्ठ महाराज श्रीदशरथ के श्रीराम राज्याभिषेक के प्रस्ताव को सुनकर इतने आनंदित हो गये कि नीति और विधि विधान को विस्मृत करके महाराज दशरथ से कहते हैं कि
बेगि बिलम्ब न करिए नृप,साजिए सबइ समाज।
सुदिन सुमंगल तबहिं जब, राम होहिं जुबराज।।
किसी मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं है, सुदिन सुमंगल तभी है जब श्रीराम राजा बन जायें।
उनकी इस प्रीति व्यवस्था ने श्री भरत को ननिहाल से बुलाकर श्रीराम के राज्याभिषेक की आवश्यकता का अनुभव नहीं किया।परिणाम यह हुआ कि मंथरा ने माता कैकेई की शुषुप्त अहमता और ममता की वासना को उभाड़ कर रामराज्य का योग नहीं होने दिया और बनबास का कुयोग खड़ा कर दिया।
जीवन में प्रतिक्षण धैर्य की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि धैर्य के अभाव में हमारा ज्ञान पुष्ट नहीं होता और भक्ति फलित नहीं होती है।
श्रीरामचरितमानस में श्रीभरत ऐसे पात्र हैं जिनके जीवन में ज्ञान, भक्ति, कर्म, और शरणागति की संपूर्णता है, उसी का परिणाम रामराज्य है, जो अयोध्या की संपूर्ण वृत्तियों और व्यक्तियों को साथ ले जाकर भगवान से योग करा देते हैं, यह भगवान से योग की स्थिति जो है वह चित्त की भूमि चित्रकूट में ही संभव हो सकती है, बुद्धि भूमि अयोध्या में संभव नहीं हो सकती है,
एक बार बुद्धि यदि सांसारिक जाल में लिप्त हो जाये तब वह सद् असद् का विवेक नहीं कर पाती है,
श्रीरामचरितमानस की मान्यता है कि वह सुख, कर्म और धर्म जला देने योग्य है जिसमें राम प्रेम की प्रधानता नहीं है। वह योग कुयोग है, वह ज्ञान अज्ञान है जिसमें भगवान के प्रति प्रेम की प्रधानता नहीं। है। यही है रामचरितमानस का कर्मयोग जिसमें जीवन की समस्त उपलब्धियों की सार्थकता को श्रीराम के चरणों में अर्पण करके ही उसकी बताई गई है।
आज प्रवचन में S S Kothiyal IPS (Retd), Sh Rajiv Gupta IAS (Retd), Sh S P Mamgain, Shri Babla, Gulshan Khurana, Jitendra Kapoor, Amrit Lal Vinayak आदि मौजूद रहे।