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भरोसा, विश्वास और संतोष,भक्ति का सर्वस्व घर: स्वामी मैथिलीशरण

देहरादून। राजा रोड स्थित सनातन धर्म सभा गीता भवन में हनुमत चरित्र विषय पर चल रहे ज्ञान यज्ञ को पूर्णाहुति देते हुए स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि हनुमान जी ने सुन्दरकाण्ड में जो सब किया वह सब भगवान के संदेश का ही विस्तार है ।भगवान राम ने हनुमान जी से अपने बल और बिरह को लंका में जाकर सीता जी को समझाने के लिए कहा था।

मंगलवार को गीता भवन परिसर में प्रवचन देते हुए स्वामी मैथिलीशरण ने बताया कि पवनपुत्र हनुमान ने जब सीता माता के सामने लंका को जलाकर राक्षसों को मारकर पर्वत समान देह बनाई तो यह भगवान के बल का विस्तार था।

स्वामी मैथिलीशरण ने बताया कि बल के विस्तार में अहं के आने की संभावना रहती है पर हनुमान जी के अंदर उसका अंश भी नहीं है।
हनुमान जी ने अपने प्रताप के स्थान पर भगवान के प्रताप को प्रचारित किया, यही उनकी अहं शून्यता है। बिरह के विस्तार की चर्चा करते हुए उन्होंने श्रोताओं को भाव विभोर किया।

कथा समापन पर अध्यक्ष राकेश ओबराय ने कहा कि गीता भवन देवराहा बाबा और रामकिंकर जी की कृपा भूमि है। हम गीता भवन के दो कमरे स्थाई रुप से श्रीरामकिंकर विचार मिसन को रामचरितमानस का प्रचार प्रसार करने के लिए सौंप देंगे ताकि उत्तराखण्ड की भूमि में तुलसीकृत मानस का व्यापक प्रचार हो। गुलशन खुराना ने कहा कि गीता भवन में श्री रामकिंकर जी की एक विशाल पेंटिंग लगाई जाएगी।

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