देहरादून।
रिस्पना होटल में चल रही भव्य श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन सैकड़ों गौभक्तों के बीच प्रवचन करते हुए प्रसंग में संत गोपाल मणि महाराज जी ने कहा कि भागवत का नायक श्रीकृष्ण है, वह गाय के पीछे खड़े हैं, भगवान कृष्ण का 120 वर्ष तक केवल एक ही मुद्दा रहा गौवर्द्धन। उन्होंने दुनियां को बताया कि मुझे अग़र ढूंढना है तो मैं गायों के पीछे मिलूंगा मतलब यह कि भगवान राम और कृष्ण का अवतार केवल गौ रक्षा गौ के संवर्द्धन के लिए हुआ है।
पांचवे दिन कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि कलियुग के करोडो कृष्णभक्त गाय को पशु समझकर तिरस्कार कर रहे हैं। यह कैसी कृष्णभक्ति है जबकि अथर्ववेद में लिखा है कि गाय पशु नही है पशवो न गावः लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के लोग गाय को पशु समझते हैं और अपने को कृष्णभक्त कहते हैं।
मणि महाराज ने कहा कि रावण ने भी यही भूल की थी उसने गाय को पशु समझा और गंगा को सामान्य नदी समझा इसीलिए रावण का पतन हुआ। जिस देश के 80 करोड़ से अधिक लोग गाय को माता मानते हो उसको पूजते हो उसके प्रति आस्था का भाव रखते हों महराज जी ने कहा कि इस बात की अनुमति देश का संविधान भी देता है कि देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आस्था का सम्मान करना और कराना देश की सरकारों का कर्तव्य है। गाय पशु नही माता है इसलिए गौ को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान मिलना ही चाहिए। जिसके लिए 20 नवम्बर 2023 को पुनः गोपाष्टमी के दिन करोड़ों गौभक्त दिल्ली में एकत्रित होंगे ।
आगे प्रसंग में मणि महाराज जी ने कहा भगवान राम और श्री कृष्ण भी इस धरा पर गौ के लिए है अवतरित हुए है.. आगे महाराज जी ने कहा कि जो जीते जी गाय की पूछ पकड़ लेते हैं उनको सहज रूप से अंत समय में गोलोक धाम की प्राप्ति हो जाती है। सहजता से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
कथा पंडाल पर प्रातः 9 से 01 बजे तक देहरादून के सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक चिकित्सा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ जेएन नौटियाल द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण कैम्प लगाया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाया।
इस अवसर पर मुख्य आयोजक बलवीर सिंह पंवार, शूरवीर सिंह मतुड़ा, सरला मैठाणी, तुलसीराम बडोनी, मीडिया प्रभारी डॉ राम भूषण बिजल्वाण, राकेश सेमवाल, रविन्द्र राणा, उषा पंवार , संगीता राणा, सुधा ध्यानी, कुसुम शर्मा, विकास पाटनी, गौभक्त पहलवान संजय सिंह गुज्जर, भारती सेमवाल, शांति नौटियाल, रेखा बिजल्वाण, कुलानंद कंसवाल, आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल, महावीर खण्डूरी, रोशनी उनियाल, माहेश्वरी जोशी, भुवनेश्वरी नेगी, वसुमती पंवार, माहेश्वरी जोशी, रोशनी उनियाल आदि मौजूद रहे।