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भागवत कथा में बताया वेद, शास्त्रों का महात्म्य,

जिसको भगवान देते उसे कोई नहीं छीन सकता: आचार्य पैन्यूली,

देहरादून। मानवता परोपकार से बढती है। उच्च विचार का नाम ज्ञान है। दूसरों के कष्टों को सहन करने का नाम ही वैराग्य है। सबकी पीड़ा हरे सो हर, हालात सुन्दर करें लक्ष्मी सुख दें हो हरी। उक्त विचार आचार्य तुलसी राम पैन्युली जी नें डोभालवाला देहरादून में स्वर्गीय ईश्वरी दत्त ममगाईं की पुण्यतिथि पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करें ।

उन्होंने कहा कि वेद, पुराण, शास्त्र से मनुष्य को केवल ज्ञान ही नहीं बल्कि, प्रकृति के सभी मूल, भूत, यम, नियम, संयम, सामान्य विज्ञान व कर्तव्य बोध होता है। भगवान की शरण में जाकर सारी पीड़ा दूर होती है। संचित को प्रारब्ध कहते हैं, जिसे हम भोग रहे हैं।

क्रियमान कर्म नया प्रारब्ध बनके आता है । कर्म करते समय कोई इच्छा ना रखते हुए जब हम कर्म करते हैं, तो वह आगे बढ़ाने वाला होता है । जो पिछले दिन किसी के उपकार को न माने परोत्कर्ष असहन हमारे जीवन पद की सबसे बड़ी बाधा है ।

अंतिम श्वास तक कर्म करते रहना आवश्यक है। ज्ञान बिना मुक्ति नहीं मिलती। जितना मनुष्य सुखी उतना भ्रमित जबकि जितना दुखी उतना एकाकी होता है। अपनी बुराइयां सुनकर मन को स्थिर रखने वाला व्यक्ति जीवन पथ पर आगे बढ़ता है। दूसरों की बुराइयों को सुनने वाला अज्ञानी है।

भागवत कथा से पहले निकली कलश यात्रा,
बुधवार को नेशविला रोड स्थित गढ़वाल सभा से शुरू हुई कलश यात्रा कथा स्थल तक पहुंची। यहां पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत नें दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया ।

कथा में प्रसिद्ध कथावाचक जिनके पिता जी की पुण्यतिथि पर कथा का आयोजन किया गया वह वृन्दावनलाल से आये पुरषोत्तमाचार्य महाराज स्वर सहित भागवत का मूल पाठ कर रहे हैं ।

इस दौरान सूरजा देवी ममगाईं, पारेश्वर ममगाईं, राकेश ममगाईं, गिरीश ममगाईं, दामोदर सेमवाल, आचार्य नत्थीलाल भट्ट, आचार्य भगवती, हिन्दी आचार्य भानुप्रसाद ममगाईं, आचार्य भगवती प्रसाद, फोन्दणी, बृज भूषण गैरोला, कुशुम गैरोला, प्रेम बल्लभ बहुगुणा, कैलाश सुन्दरियाल, आचार्य विजेन्द्र, ममगाईं,आचार्य मुरलीधर सेमवाल, आचार्य कैलाश थपलियाल, आचार्य दिवाकर भट्ट, आचार्य सन्दीप बहुगुणा, आचार्य सत्य प्रसाद सेमवाल, बद्री केदार समिति के पूर्व सदस्य हरीश डिमरी, पूर्व प्रधानाचार्य जगजीत पंत, प्रकाश भट्ट, पृथ्वीराज चौहान, गोपाल रतूड़ी, विनोद नैथानी, शिव चरण सिंह, कमल रामानुजाचार्य, प्रेमा ममगाईं, मंजु ममगाईं, राजेश्वरी ममगाईं, विजया ममगाईं, आयुषी ममगाईं, शुभम ममगाईं, ऋषभ, अमन, निशा, शालीन ममगाईं, आयुष ममगाईं, प्रियाशी प्रियांक, शैलेन्द्री भट्ट, अंकित भट्ट, प्रकाश भट्ट, रश्मि सेमवाल, आशीष सेमवाल, शुभम सेमवाल, मीना सेमवाल, निर्मला रावत, देवेश्वरी वम्पाल आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।

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