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आर्य समाज धामावाला के प्रधान बने सुधीर गुलाटी, नवीन भट्ट बने मंत्री

रविवार को हुए आर्य समाज धामावाला के 144 वें वार्षिक सत्र 2022-23 के लिए चुनाव सम्पन्न

देहरादून। आर्य समाज धामावाला देहरादून के 144 वें वार्षिक सत्र 2022-23 के लिए रविवार को आयोजित हुए । वार्षिक अधिवेशन में आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तराखण्ड द्वारा मनोनीत पर्यवेक्षकों ज्ञान चन्द गुप्ता, वरिष्ठ उप प्रधान गम्भीर सिंह सिंघवाल कार्यवाहक मंत्री की मौजूदगी में पदाधिकारी,सदस्य सर्वसम्मति से निर्विरोध निर्वाचित हुए।


प्रधान पद पर सुधीर गुलाटी, मंत्री नवीन भट्ट, कोषाध्यक्ष, नारायण दत्त पांचाल, उप प्रधान सुभाष चन्द्र गोयलश ओम प्रकाश नांगिया, स्नेह लता खट्टर, अशोक आर्य, उप मंत्री सतीश चन्द्र, अश्विनी पांचाल, सुदेश भाटिया, ओम प्रकाश मल्होत्रा, सह- कोषाध्यक्ष धीरेन्द्र मोहन सचदेव, पुस्तकाध्यक्ष, आदर्श कुमार अग्रवाल, अधिष्ठाता आर्य वीर दल आलोक कुमार कश्यप, लेखा निरीक्षक विश्वमित्र गोगिआ, सह लेखा निरीक्षक नरेश कुमार गर्ग, अन्तरंग सदस्य अशोक नारंग, पवन कुमार आर्य, मदन मोहन आर्य, ब्रह्म देव गुलाटी, प्रताप सिंह रोहिल्ला, दिलीप कुमार आर्य को नियुक्त किया गया।

इसके साथ ही विशेष आमंन्त्रित सदस्य शैल ढींगरा, राधेश्याम खत्री, विनीत कुमार मदान, हर्ष देव शर्मा, देवेंद्र कुमार सैनी, सूर्य देव चावला,

प्रांन्तीय सभा नारायण दत्त पंचाल, नवीन भट्ट, सुधीर गुलाटी, जिला सभा सुधीर गुलाटी, नवीन भट्ट, नारायण दत्त पंचाल, सुभाष चन्द्र गोयल, स्नेहलता खट्टर, धीरेन्द्र मोहन सचदेव, सतीश चन्द्र को नियुक्त किया गया।

नवनिर्वाचित प्रधान पद पर सुधीर गुलाटी ने बताया कि आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानन्द सरस्वती जी द्वारा मानव मात्र के कल्याणार्थ 10 अप्रैल 1875 को बम्बई के चिरगांव में हुई। उस समय देश को गुलामी की ज़ंजीरों के साथ सतीप्रथा, बाल विवाह, श्राद्ध, पशु हिंसा, मूर्तिपूजा, अन्धविश्वास, जादू टोना आदि कुरीतियों ने जकड़ रखा था I

महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने सत्यसनातन वैदिक धर्म के प्रकाश एवं मानव कल्याण की भावना से महान ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’, ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका, संस्कार विधि आदि अनेक ग्रंथों को जन मानस तक पहुंचाया I नारी शिक्षा,अछूतोद्धार और वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार में आर्य समाज की भूमिका सर्वोपरि रही है I आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तों विश्वमार्यम ; जिसका अर्थ है – विश्व को आर्य बनाते चलो।

उन्होंने बताया कि आर्य समाज के संस्थापक ,युग प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा से आर्य समाज धामावाला , देहरादून की स्थापना 143 वर्ष पूर्व 29 जून 1879 को हुई थी ।

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