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कथा पाला बदलने का साधन है: ममगाईं,


देहरादून। राम को छोड़ काम के पास जाओगे तो गिरोगे, दशरथ राम राज्य स्थापना समय पर कौशल्या से व गुरूदेव से मंत्रणा करते है। लेकिन जैसे ही कैकई के कक्ष में गये तो रामराज्य स्थापना में बाधा हुई। इसी तरह जो प्रतिष्ठा के शिखर पर जितना उपर चढता हैज़ उसको उतना गिरने का डर होता है । यह बात आज सोमवार को नवविहार चूक्खूवाला मे श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिन ज्योतिष पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं जी ने व्यक्त किये ।

उन्होंने कहा कि कथा के बीच मैं अपने को बिठाए। कथा तब सुने जब लगे कि हावभाव और जीवन किसी गलत के साथ मैं तो नही है । कथा पाला बदलने का साधन है पार्टी बदलना नही ।

सोमवार को कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि पाश्चात्य सभ्यता के दुष्परिणामों से बचाने के लिए धार्मिक आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी सुसंस्कृत व अपनी पहचान को संरक्षित कर सकते है। कलियुग में भगवान का पावन नाम ही कल्याण का सबसे सुगम व सुलभ साधन बताया गया है। जब तक सत्संग के माध्यम से नाम संकीर्तन का महत्व नही समझा जाएगा, तब तक संकीर्तन के नाम जप मैं मन कैसे लगेगा । मन भटकने का मतलब आस्था की कमी है। आज कथा का महत्व लोग नाचना समझने लगे है। हर कथा में यही देखने को मिलता है। कथा का मतलब भक्ति रंग जीवन मे लाकर मूल से भागवत कथा को आत्मसात करना है।

यह लोग रहे मौजूद,
रामप्यारी भंडारी, दयाल सिंह भंडारी, अजय भंडारी, भावना भंडारी, अमीषी भंडारी, संजय भंडारी, पुष्पा सजवाण, कर्मवीर सजवाण, अंकित सजवाण, रितिका सजवाण, कुसुम भंडारी, ईवान भंडारी, ललित मोहन बिष्ट, लक्ष्मी बहुगुणा, सरस्वती रतूड़ी, रामा चंदोला, दामोधर सेमवाल, संदीप बहुगुणा, हिमांशु मैठाणी, चंद्रमोहन थपलियाल, दिवाकर भट्ट, प्रकाश भट्ट, महेश भट्ट, सुनील ममगाई, रजनी राणा, प्रभा पुण्डीर, चन्द्र बल्लभ बछेती, राजीव भंडारी, ललित मोहन बिष्ट, सुमन बिष्ट आदि मौजूद रहे।

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