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रक्षाबंधन श्रावणी उपाकर्म 11 अगस्त को शास्त्र सम्मत है: आचार्य ममगाईं

देहरादून।

रक्षाबंधन श्रावणी उपाकर्म को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यह विडंबना है कि हिंदू धर्म में कई पर्वों को लेकर एकरूपता देखने को नहीं मिलती पूरा भारत वर्ष एक दिन पर्व मनाता है जबकि एक क्षेत्र विशेष के लोग अगले दिन पर्व मनाते हैं। हिंदू धर्म की रक्षा हेतु हम सभी को एक मत होना होगा अलग-अलग दिन पर्व मनाने से हिंदू समाज विखंडित हो रहा है।

आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि हिंदू धर्म की रक्षा एवं अखंडता हेतु विद्वानों का कर्तव्य होता है कि हम एकमत होकर धर्म की रक्षा करें। हिंदू पर्वों पर एकमत होकर उत्सव मनाएं।
राष्ट्रीय हिंदू पर्वों का निर्धारण “राष्ट्रीय पंचांग सुधार समिति” के सौ से ज्योतिष कर्मकांड, वेद, धर्म शास्त्रों, के विद्वानों की अनुशंसा पर किया है। जिन्होंने अपने अमर ग्रंथ “व्रत पर्व विवेक” में 2022 के लिए रक्षाबंधन तिथि 11 अगस्त ही निर्धारित की है। इसके अतिरिक्त यदि हम धर्म ग्रंथों का अध्ययन करें जिस में मुख्यतः
1–धर्मसिंधु, 2–निर्णय सिंधु 3–पीयूष धारा 4–मुहूर्त चिंतामणि 5–तारा प्रसाद दिव्य पंचांग इत्यादि का अध्ययन करने पर इस परिणाम पर पहुंचेंगे कि 11 अगस्त 2022 को ही रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म पर्व शास्त्र सम्मत है।

इस लेख के माध्यम से आपको यह स्पष्ट कराने का प्रयास करता हूं कि रक्षाबंधन, उपाकर्म संस्कार 11 अगस्त 2022 को क्यों मनाना चाहिए।
रक्षाबंधन एवं श्रावणी उपाकर्म में मुख्यतः पूर्णिमा तिथि एवं श्रवण नक्षत्र का होना आवश्यक माना गया है। इस वर्ष 11अगस्त को 10 बजकर 39 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ हो रही है जो पूरे दिन व्याप्त है जबकि श्रवण नक्षत्र प्रातः 6:53 से प्रारंभ हो जाएगा। कई जातकों का इसमें प्रश्न है कि उत्तराषाढ़ा युक्त श्रवण नक्षत्र में उपा कर्म रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दो मुहूर्त यदि हो तो उसका दुष्प्रभाव होता है परंतु रक्षाबंधन के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र केवल 5 मिनट तक रहेगा जबकि एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है यह तथ्य भी यहां पर लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त धर्मसिंधु में कहा गया है यजुर्वेदियों के लिए नक्षत्र की प्रधानता नहीं अपितु तिथि की प्रधानता देखी जाती है और पूर्णिमा 11 अगस्त को व्याप्त है एवं 12 अगस्त को पूर्णिमा तीन मुहूर्त नहीं होने के कारण रक्षाबंधन,उपाकर्म संस्कार मनाना शास्त्र सम्मत नहीं है।
12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना क्यों शास्त्र सम्मत नहीं है?
1– क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा प्रातः 7:6 पर समाप्त हो जाएगी जोकि सूर्योदय के बाद 18 मिनट ही होते हैं जो कि एक मुहूर्त से भी कम है।
2– निर्णय व धर्म सिंधु ग्रन्थों के अनुसार भाद्रपद युक्त प्रतिपदा व धनिष्ठा युक्त नक्षत्र में श्रावणी उपाकर्म(जनेऊ धारण) करना शास्त्रों में निषेध माना गया है।
3– 11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा व्याप्त है परंतु भद्रा मकर राशि मे होने से इसका वास पाताल लोक में माना गया है और पीयूष धारा में कहा है-
स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम।
मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी ।।
जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होती है तब वह शुभ फल प्रदान करने में समर्थ होती है।
मुहूर्त मार्तण्ड में भी कहा गया है “स्थिताभूर्लोख़्या भद्रा सदात्याज्या स्वर्गपातालगा शुभा”।
अतः यह स्पष्ट है कि मेष, वृष,मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु या मकर राशि के चन्द्रमा में भद्रा पड़ रही है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है।।
रक्षाबंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित अपराहन पूर्णिमा में करने का शास्त्र विधान है
भद्रायाम द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा
यदि पहले दिन व्याप्त पूर्णिमा के अपराहन काल में भद्रा हो दूसरे दिन उदय कालिक पूर्णिमा तिथि त्रि मुहूर्त व्यापिनी हो तो उसी उदय कालिक पूर्णिमा तिथि दूसरे दिन के अपराह्न काल मे रक्षाबंधन करना चाहिए यदि अपराह्न कालिक पूर्णिमा ना हो रक्षाबंधन नहीं मना सकते 12 तारीख को को प्रात 7 बजकर 6 मिनट तक है तो मनाने का प्रश्न ही नहीं होता भद्रा पाताल की है दोषमुक्त है दोष पाताल में होगा बली लक्ष्मी को क्योंकि इस समय साकल्य पादित पूर्णिमा का अस्तित्व होगा
पुरुषार्थ चिंतामणि के अनुसार भी-
यदा द्वितियापराहणत पूर्वम समाप्ता तदापि भद्रायां द्वे न कर्तब्यये
परन्तु यदि आगामी दिन पुर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी न हो तो पहले दिन भद्रा समाप्त होने पर प्रदोषकाल में ही रक्षाबंधन करने का विधान हैं
अथ रक्षा बन्धनस्यामेव पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिण्याम अपराह्न प्रदोषे वा कार्यं उदय त्री मुहूर्त न्युनस्य पूर्वेधु भद्रा रहिते प्रदोषादिकाले कार्यम
इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को अपराहन व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष व्याप्त है और आगामी दिन 12 अगस्त शुक्रवार को पूर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी नही है पूर्णिमा केवल 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो रही है अतः उपरोक्त शास्त्र निर्णयानुसार रक्षाबंधन 11 तारीख को है भद्रा दोष नहीं है क्योंकि भद्रा पाताल की है।
परन्तु यदि आगामी दिन पुर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी न हो तो पहले दिन भद्रा समाप्त होने पर प्रदोषकाल में ही रक्षाबंधन करने का विधान हैं
अथ रक्षा बन्धनस्यामेव पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिण्याम अपराह्न प्रदोषे वा कार्यं उदय त्री मुहूर्त न्युनस्य पूर्वेधु भद्रा रहिते प्रदोषादिकाले कार्यम
इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को अपराहन व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष व्याप्त है और आगामी दिन 12 अगस्त शुक्रवार को पूर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी नही है पूर्णिमा केवल 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो रही है अतः उपरोक्त शास्त्र निर्णयानुसार रक्षाबंधन 11 तारीख को है भद्रा दोष नहीं है क्योंकि भद्रा पाताल की है इसलिए सभी विद्ववानों के अनुसार अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 26 मिनट से एक बजकर 34 मिनट तक है और भद्रा पुछ 5 बजकर 19 मिनट से 6 बजकर 53 तक है में रक्षाबंधन करना श्रेयस्कर है दूसरे दिन प्रतिपदा भेद की पूर्णिमा में 12 तारीख किसी भी प्रमाण से नही है।

आचार्य ममगाईं के बाद अन्य विद्ववानों की सहमति

डॉक्टर भानु प्रकाश देवली प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय रुद्रप्रयाग धर्माधिकारी बद्रीनाथ आचार्य रत्नमणि सेमल्टी सेक्टर 35 चंडीगढ़ आचार्य जगदनंद झा बनारष ललिता गिरी महाराज महंत भारत माता मंदिर हरिद्वार
आचार्य राकेश बहुगुणा वेदपाठी ऋषिकेश आचार्य उदयराम नौटियाल आचार्य तोताराम मलेथा आचार्य सुशान्त जोशी आचार्य अखिलेश बधानी आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य कमल रामानुज आचार्य हिमांशु मैठाणी ने भी यही तिथि बताई है।

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