देहरादून।
नेशविला रोड स्थित डोभालवाला में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन शुक्रवार को आचार्य तुलसीराम पैन्यूली ने भगवान कृष्ण जन्म की कथा को वर्णन किया। उन्होंने बताया कि शुद्व सत्व का नाम बसुदेव और देवमयी बुद्धि का नाम देवकी है। इन दोनों के मिलन से ही पार ब्रह्म का प्राकट्य होता है ।
कहा कि यह भारत देवभूमि है यहाँ पर जब भी धर्म की हानि हुई तो अनेकों बार भगवान ने अवतार लेकर दुष्टों का संहार किया।
ज्योतिष पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के आवास पर उनके स्वर्गीय पिताजी ईश्वरी दत्त ममगाईं की पूण्य स्मृति में श्रीमद्भागवत कथा आयोजित की जा रही है। कथा का वर्णन करते हुए आचार्य तुलसीराम पैन्यूली ने कहा कि पाखंडी स्वयं को भगवान बताकर अपनी पूजा करवा रहे हैं। जिनसे आज सावधान रहने की आवश्यकता है। मनुष्य केवल भगवान का भक्त हो सकता है स्वयं भगवान नही उन्होंने भक्ति के मूल का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति का भाव ह्रदय से उतपन्न होता है । जब आंतरिक प्रेम उतपन्न होने लगता है और प्रभु नाम स्मरण बिना एक पल भी काटना मुश्किल होने लगे तब समझना चाहिए कि प्रभु प्राप्ति की ओर हम बढ़ने लगे हैं। भागवत भी यही संदेश देता है। उन्होंने भगवत चिन्तन में मन न लगने का कारण मन की चंचलता के साथ मनुष्य में इच्छा शक्ति की कमी को मुख्य कारण बताया।
जब तक मनुष्य की भगवान के प्रति आस्था नही होगी और उनके चरणों मे अनुराग के बीज प्रस्फुटित नही होंगे तब तक शांति और भगवान की प्राप्ति संभव नही है। कर्म ही धर्म है और कर्म ही पूजा है समाज मे आ रही गिरावट के लिए आज शिक्षा प्रणाली को दोषी बताया। गौ हत्या को देश के लिए कलंक बताते हुए उन्होंने कहा कि जब तक देश मे गौ हत्या नही रुकेगी तब तक हम उन्नति नही कर सकते !! कथा में वृन्दावन से आये आचार्य पुरूषोतमाचार्य महाराज स स्वर भागवत पारायण पाठ कर रहे हैं।
इस दौरान सुरजा देवी ममगाईं, ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, पारेश्वर ममगाईं, राकेश ममगाईं, गिरीश ममगाईं, नत्थीलाल भट्ट, ब्रज आचार्य चतुर्वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य आचार्य भरत राम तिवारी, विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अनुसूया प्रसाद देवली, मंजू ममगाईं, आयुष ममगाईं, आयुषी ममगाईं, प्रेमा ममगाईं, गोलू ममगाईं, ऋषभ ममगाईं, अमन, देवी प्रसाद ममगाईं, अनुपमा, कैलाश सुन्दरियाल, पंकज सुन्दरियाल, सुनिता सुन्दरियाल, शैलेन्द्री भट्ट, लक्ष्मी कोठारी, जयन्द्र सिंह नेगी, आरटीओ अनिल नेगी , प्रसन्ना लखेड़ा, सुरेन्द्र सिंह असवाल, प्रियांशी ममगाईं, प्रियांक ममगाईं शालिनि ममगाईं,- निशा ममगाईं, सुदेखना बहुगुणा, मुरलीधर सेमवाल, विनोद नैथानी, उर्मिला मेहरा, आनंद मेहरा, दामोदर सेमवाल, शुभम, आचार्य सत्य प्रसाद सेमवाल, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य द्वारिका नौटियाल, आचार्य दिवाकर भट्ट, कमल रामानुजाचार्य, आचार्य प्रेम ममगाईं, कैलाश थपलियाल, आचार्य विजेंद्र ममगाईं, आचार्य भानु प्रसाद आदि भक्त गण मौजूद रहे।