• Mon. Dec 23rd, 2024

समाज में समता लाने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान आवश्यक: डॉ बिजल्वाण


देहरादून। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी उत्तराखंड सरकार की ओर
गीतामास महोत्सव के उपलक्ष में श्रीमद्भगवतगीता में योग की महत्ता विषय पर भौतिक एवं ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने योग विषय पर विस्तार से जानकारी दी।


गुरुवार को श्री गुरुराम राय लक्ष्मण संस्कृत महाविद्यालय में
कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय के प्राचार्य तथा गोष्ठी के संयोजक डॉ राम भूषण बिजल्वाण ने दीपप्रज्वलन कर किया। महाविद्यालय के छात्रों एवं एक कक्षा 4 की छात्रा श्रद्धा बिजल्वाण ने वैदिक,लौकिक मंगलाचरण किया गया।गोष्टी संयोजक ने बताया कि पूरे प्रदेश भर में आयोजित गीतामास महोत्सव के उपलक्ष में श्रीमद्भगवतगीता में योग विषय पर गोष्टी आयोजित की जा रही है।


इस अवसर पर संगोष्ठी के मुख्य अतिथि शिव प्रसाद खाली निदेशक संस्कृत शिक्षा, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. राधे श्याम खण्डूडी, विशिष्ठ अतिथि डॉ राकेश मोहन नौटियाल, मुख्य वक्ता डॉ. नारायण भट्टराई, सहायकाचार्य वेद विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, सहवक्ता डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट सहायकाचार्य शिक्षाशास्त्र विभाग उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार से शामिल रहे।

संगोष्ठी में मुख्यवक्ता डॉ. नारायण भट्टराई ने श्रीमद्भगवतगीता में योग विषय पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गीता में
योग शब्द का एक नहीं बल्कि कई अर्थों में प्रयोग हुआ है लेकिन हर योग अंततः ईश्वर से मिलने मार्ग से ही जुड़ता है योग का मतलब है आत्मा से परमात्मा का मिलन गीता में योग के कई प्रकार हैं लेकिन मुख्यतः तीन योगों का वास्ता मनुष्य से अधिक होता है यह तीन योग हैं ज्ञान योग कर्म योग और भक्ति योग महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन रिश्ते नातों में उलझ कर मोह में बंध रहे थे तब भगवान श्री कृष्ण ने गीता में उपदेश देते हुए अर्जुन को कहा कि हे पार्थ जीवन में सबसे बड़ा योग कुछ है तो वह है कर्म योग उन्होंने बताया था कि कर्म योग से कोई भी मुक्त नहीं हो सकता वह स्वयं भी कर्म योग से बंधे हैं कर्म योग ईश्वर को भी बंधन में बांधे हुए रखता है भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि भगवान शिव से बड़ा तपस्वी कोई नहीं है और वह कैलाश पर ध्यान योग मुद्रा में लीन रहते हैं श्री कृष्ण ने योग में अर्जुन को 18 प्रकार के योग मुद्रा के विषय में उपदेश देकर उनके मन के मैल को साफ किया था।


सहवक्ता डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट ने अपने विचार ब्यक्त करते हुए गीता में योग के सार को बताते हुए समाज के लिए उपयोगी बताया।


इस अवसर पर कार्यक्रम जनपद संयोजक डॉ. राम भूषण बिजल्वाण ने आगंतुक समस्त अतिथि महानुभावों का अभिनंदन किया। साथ ही गीता का महात्म्य बताते हुए डॉ बिजल्वाण ने कहा कि ‘समत्वं योग उच्यते’ अर्थात आज समाज में विषमता आ गयी है जिसको मिटाने के लिए प्रत्येक को गीता का अध्ययन अध्यपन आवश्यक है समाज में समता केवल योग से आ सकती है जिस कर्म ज्ञान और भक्ति योग की चर्चा श्रीमद्भगवतगीता में की गई है।
कार्यक्रम का सफल संचालन जनपद सहसंयोजक आचार्य नवीन भट्ट ने किया।


कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सुशील चमोली ने किया।
कार्यक्रम में डॉ. शैलेन्द्र प्रसाद डंगवाल, डॉ सीमा बिजल्वाण, डॉ प्रदीप सेमवाल, आचार्य मनोज शर्मा सहित देश एवं प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों विद्यालयों के आचार्य प्राचार्य छात्र गोष्ठी में जुड़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *