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मनुष्य की प्रगति का आधार कर्म है: ममगाईं

डिफेंस कॉलोनी में कलश यात्रा के साथ शुरू हुई भागवत कथा

देहरादून। पुराणों का दृष्टिकोण काल्पनिक नही, यथार्थ सत्य है। कर्म उस व्यवस्था की उत्तमता का नाम है जो श्रद्धा की नींव पर खड़ी है। हमारी प्रगति हमारी प्राचीन संस्कृति है। यह संस्कृति श्रद्धा के जिन आधारों पर खड़ी है, उसका ज्ञान भागवत की कथा से प्राप्त हुआ। मनुष्य की प्रगति का आधार कर्म है। यह विचार डिफेंस कॉलोनी में शुरू हुई श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन उत्तराखंड के प्रसिद्ध कथा वाचक, ज्योतिषपीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने व्यक्त किये।

सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा से पहले पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ 101महिलाओं ने पीत वस्त्रों से सुसज्जित होकर सिर पर कलश रखकर डिफेंस कॉलोनी के मुख्य मार्गो से शोभायात्रा निकाली। इसके बाद सेक्टर 2 डिफेंस कॉलोनी में वेद मंत्रोच्चारण के साथ भगवान शंकर के अभिषेक बाद व्यास पूजन व भागवत पूजन किया गया।


इसके बाद कथा का वर्णन करते हुए आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि प्राचीन काल मे व्यास जी ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखकर पुराणों की रचना की। सृष्टि सत्य है, परंतु उससे बड़ा सत्य परमात्मा है। जिसके कारण असत्य जगत भी सत्य दिखता है। उस परमात्मा रूपी सत्य को जानकर मनुष्य अस्थायी, आंनद व अमृत कर सकता है। पुराणों का दृष्टिकोण यथार्थ सत्य है।

उन्होंने बताया कि हमारी प्राचीन संस्कृति की सत्यता है कि गौ हत्या जैसे कृतग्यो को मिठाना। द्वारिका के अवषेशों का मिलना भी इस संस्कृति की सत्यता है। धर्म के लिए आस्थावान बनना व दूसरों को भी बनाना मानव का परम धर्म है। मनुष्य देह प्राप्त करके ही हम किसी का सम्मान कर सकते है।

यह लोग रहे मौजूद,
प्रसन्ना देवी लखेड़ा, अतुल, राहुल, मनोज, गंगोत्री देवी, विलोचन देवी, हेमलता, विनोद, हरि प्रसाद, दीपा, विना, तनेजा, अमिता शर्मा, अश्विन मुंडेपी, अनिता कोठारी, आशुतोष काला प्रधान आदि मौजूद रहे।

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