बुद्धिजीवियों, आंदोलनकारियों, राजनेताओं ने कनस्तर बजा कर आवाज़ उठाई।
देहरादून। उत्तराखंड में सैकड़ों लोगों ने हिंसक और नफरत वाली राजनीति के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए सोमवार को “नफरत नहीं, रोज़गार दो!”, का नारा दिया। साथ ही महामारी और आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए लोगों ने अपने घरों व छोटे 2 समूहों में धरना दिया। साथ ही कनस्तर बजा कर कहा की कनस्तर बजाओ, हिंसा भगाओ।
उत्तराखंड के प्रमुख जन संगठन और कुछ राजनेताओं के आवाहन पर देहरादून, टिहरी, रामनगर, हरिद्वार, चमोली, नैनीताल, श्रीनगर, बागेश्वर, उधम सिंह नगर और अन्य जगहों में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान सेवानिवृत सरकारी अफसर, महिला आंदोलनकारी, वरिष्ठ रंगकर्मी और पत्रकार, वरिष्ठ राजनेता और सैकड़ों आम लोग कार्यक्रम में शामिल हुए।
गौरतलब है कि दिसम्बर महीने में “धर्म संसद” के नाम पर हरिद्वार में कार्यक्रम हुआ था, जिसमें खुल्लम खुल्ला नरसंहार का आवाहन किया गया था। उससे पहले भी कई बार 2017 और 2018 में, और हाल में रूड़की और नैनीताल में, हिंसक घटनाएं हुई हैं। लेकिन हिंसक संगठनों और आयोजकों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं दिखी। वक्ताओं ने कहा कि अभी उच्चतम न्यायलय का नोटिस के बाद दो ही व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और उन पर भी सख्त धाराएं नहीं लगाई गई। जबकि पहले की घटनाओं पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सेवानिवृत सैनिक अफसरों से लेकर देश के सारे सुरक्षा विशेषज्ञों ने राज्य सरकार के रवैये की निंदा किया है। यहाँ तक कि 1 जनवरी को पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों ने खुल्ला खत भेजा। वक्ताओं ने कहा कि सरकार यह सन्देश देना चाह रही है, कि राज्य में अल्पसंख्यकों और वैसे ही कोई व्यक्ति या समूह, जिसका विचार सत्ताधारी दल से नहीं मिलता, उनके लिए राज्य में सुरक्षा नहीं होगी।
इसी के खिलाफ आज आवाज़ उठायी गयी।
धरना द्वारा इन मांगों को रखा गया:
- भीड़ की हिंसा और नफरत की राजनीति फैलाने वाले तत्वों पर आपराधिक मुकदमे चलाकर, उनको गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई की जाए।
- मज़दूरों और युवाओं के लिए बनाया हुआ कल्याणकारी और रोज़गार के योजनाओं को पूरी तरह से अमल करें। महामारी से बढ़ती हुई बेरोज़गारी पर केंद्र सरकार तुरंत कदम उठा दें।
- स्वास्थ के लिए सरकार तुरंत हेल्पलाइन चला दें जिससे लोगों को ऑक्सीजन, बेड और ICU के बारे में जानकारी एक ही फ़ोन कॉल में मिल जाये।
- उच्चतम न्यायालय के जुलाई 2018 का भीड़ की हिंसा पर दिये गये फैसले के सारे निर्देशों को राज्य में तुरंत अमल में लाया जाये। इन लोगों ने किया आहवान,
राजनैतिक दलों की ओर से
काशी सिंह ऐरी, अध्यक्ष – उत्तराखंड क्रांति दल
डॉ एस एन सचान, राज्य अध्यक्ष – समाजवादी पार्टी
समर भंडारी, राज्य सचिव – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव – भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा ले)
सुरेंद्र सजवाण, राज्य सचिव मंडल – भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
राकेश पंत, राज्य संयोजक – तृणमूल कांग्रेस
आंदोलनकारी और सोशल एक्टिविस्ट
राजीव लोचन साह, अध्यक्ष – उत्तराखंड लोक वाहिनी
कमला पंत और गीता गैरोला – उत्तराखंड महिला मंच
SS पांगती (IAS, retd) और PC थपलियाल – उत्तराखंड लोकतान्त्रिक मोर्चा
शंकर गोपाल, विनोद बडोनी, सुनीता देवी, अशोक कुमार, प्रभु पंडित, पप्पू, रामु सोनी, संजय, राजेश कुमार — चेतना आंदोलन
इस्लाम हुसैन, साहब सिंह सजवाण – उत्तराखंड सर्वोदय मंडल
अशोक शर्मा – सचिव, AITUC उत्तराखंड
लेखराज – राज्य सचिव, CITU
सतीश धौलखंडी – भारत ज्ञान विज्ञानं समिति
इंदु नौडियाल – जनवादी महिला संगठन
उमा भट्ट और कमलेश कण्ठवाल – भारत ज्ञान विज्ञानं समिति
जैकृत कंडवाल – उत्तराखंड पीपल्स फोरम
हिमांशु चौहान – SFI
कविता कृष्णपल्लवी – अन्वेषा
भूपाल – क्रन्तिकारी लोग अधिकारी संगठन
मल्लिका विर्दी – सरपंच, सरमोली वन पंचायत
भार्गव चंदोला – सामाजिक कार्यकर्ता
राकेश अग्रवाल – सामाजिक कार्यकर्ता
सोनिया नौटियाल गैरोला – सामाजिक कार्यकर्ता
बुद्धिजीवी, लेखक, पत्रकार
नवीन जोशी – पूर्व संपादक, हिंदुस्तान और वरिष्ठ पत्रकार
जगमोहन रौतेला – वरिष्ठ पत्रकार, युगवाणी देहरादून
त्रिलोचन भट्ट – वरिष्ठ पत्रकार।