महिला, मातृशक्ति दमन ‘हरियाणवी खाप पन्ति’ पर पूछे कड़े प्रश्न
देहरादून।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से महिलाओं के दमन “हरियाणवी खाप पन्ति” पर पूर्व प्रवक्ता संजय भट्ट ने 5 प्रश्न पूछे है। उन्होंने केजरीवाल का देवभूमि उत्तराखण्ड आगमन पर स्वागत भी किया है। पर सवाल खड़े किए कि क्या केजरीवाल उत्तराखण्ड और उत्तराखंडियत को समझ पाए।
उत्तराखण्ड वो राज्य है जिसके लिए मातृशक्ति यानी महिलाओं ने अपना सर्वत्र बलिदान दिया, महिलाओं ने पृथक राज्य आंदोलन के दौरान क्या-क्या नहीं सहा, पर केजरीवाल शायद आप नहीं समझ पाए।
उन्होंने लिखा कि मैं संजय भट्ट एक उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी होने के नाते आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि आप अपनी आम आदमी पार्टी को आदमियों की पार्टी से हटा कर अब औरतों की पार्टी बनाने की ओर भी ध्यान दें।
आदमी पार्टी महिला सम्मान के इन 5 सवालों के दे जबाब-
आप पार्टी उत्तराखण्ड में महिला मोर्चा अध्यक्ष नहीं-
1- आप आदमी पार्टी में उत्तराखण्ड महिला मोर्चे में कोई महिला अध्यक्ष नहीं, जबकि आप सभी 70 सीट लड़ रहे, क्यों?
आप पार्टी के महिला मोर्चा उत्तराखण्ड का प्रभारी पुरुष-
2- आदमी पार्टी के उत्तराखण्ड महिला मोर्चे के अध्यक्ष भी आपने एक पुरुष को बना रखा है, महिला क्यों नहीं जबकि सभी पार्टी में महिला मोर्चा को महिला ही संभालती हैं, क्यों?
दिल्ली सरकार में एक भी महिला मंत्री नहीं-
3- आप पार्टी दिल्ली सरकार में 1 भी महिला मंत्री नहीं है, क्यों?
उत्तराखण्ड में महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी-
4- उत्तराखण्ड महिलाओं ने बनाया लेकिन आपकी आदमी पार्टी ने 70 विधानसभा में 5-6 ही टिकट महिलाओं को दिए, जबकि भाजपा ने 8 महिला प्रत्याशी चुनाव में उतारी हैं, क्यों?
5- महिलाओं को लालच के सब्जबाग दिखा कर आप औरत को घर की चारदीवारी में कैद रखने की अपनी “हरियाणवी खाप पन्ति” क्यों दिखा रहे हैं, महिलाओं को उचित सम्मान पार्टी, टिकट, मंत्रालय और सरकार में न देना आपकी पुरुष वादी सोच को उजागर करता है, जैसे पार्टी का नाम भी है मैंगो मेन पार्टी।
जनता से अपील-
उत्तराखण्ड की मातृशक्ति से अपील है कि ऐसी पुरुष वादी सोच की पार्टी को उत्तराखण्ड ‘जिसे महिलाओं की कुर्बानी से हासिल किया गया’ ।
उत्तराखण्ड की कन्या प्रजनन दर भी केजरीवाल के ग्रह राज्य हरियाणा की तरह ही होगी, जहां 1000 परुषों पर मात्र 837 महिला हैं, हरियाणा देश मे 31वें नम्बर पर है। अरविंद केजरीवाल के काम भी वैसे ही प्रतीत हो रहे हैं। न दिल्ली में महिला मंत्री, न उत्तराखण्ड में महिलाओं को टिकट आवंटन में उचित प्रतिनिधित्व, न पार्टी की उत्तराखण्ड विंग में महिला अध्यक्ष, और तो और महिला विंग का प्रभारी पुरुष।