परमात्मा को छोड़कर संसार में सब अनित्य ही: ममगांई
देहरादून।
हृदय में सद्गुणों का कमल खिलाने पर स्वभाव रूपी लक्ष्मी का प्रवेश होता हैं। संसार से आसक्ति मुक्ति में बाधक होती है। आत्मबोध होने पर पुण्य पाप से मुक्ति मिलती है। अद्वेत तत्व विशुद्ध चिन्मय आत्मा है। धन से निर्धनता भी मिटती है व अच्छी सोच रखने से शांति मिलती है । उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास पदाल॔कृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई नें तेगवहादुर रोड मे चल रही भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि संसार में परमात्मा को छोड़कर सब अनित्य है । आपसी सौहार्द, प्रेम, सद्गुण, स्वभाव रूपी सुगन्ध से सब प्राणियों का खिंचाव अपनी तरफ करना यह मनुष्य की मानवता का परिचय है।
नवधा भक्ति पर बोलते हुए आचार्य ममगांई नें कहा दास्य भक्ती हनुमान जी तथा प्रह्लाद जी में थी। दास्यभाव में राम को जीतने का भाव है, राम को जीत लेने में ही महानता है, उसी में कुछ विशिष्टता है। हनुमानजी के जीवन में एक विशिष्टता दिखाई पडती है, और वह है प्रभु के प्रति उनका दास्य भाव । पराक्रम का मूल, बुद्धि की नींव और विमोचन शक्ति का आरंभ प्रभु के दास्य भाव से होता है । परन्तु चरित्र, ज्ञान, पवित्रता निर्भयता इत्यादि के बिना दास्य भाव नहीं आता । यदि हमें जीवन में हनुमानजी की भांति दास्य भाव लाकर भगवान की भक्ति करनी है तो उसके लिए राम रसायन चाहिए ।
यह राम रसायन क्या है? चार बातों के मिश्रण से जो रसायण बनता है उसे राम रसायन कहते हैं । 1.तज्ञता, 2आत्मीयता की अनुभूति, 3वात्सल्य का अनुभव और 4 विश्वास इन चार बातों के मिश्रण से जो रसायन बनता है उसे भाव कहते हैं । यही राम रसायन है। राम रसायन यानी भगवान राम के प्रति भाव निर्माण होने के लिए इन चार बातों की आवश्यकता है । हनुमानजी के जीवन में ये चारों बातें थी इसलिए उनका दास्यभाव भी उत्कृष्ट है। जिनके जीवन में यह चार बाते होती हैं वह हनुमानजी की तरह राम का दास बन सकता है । हनुमानजी के जीवन में यह रसायन था इसलिए वे राम के दास बन गये ।
भगवान का भजन करने से जन्म जन्म के दु:ख मिट जाते हैं आचार्य नें वसुदेव की चर्चा करते कहा किअन्तःकरण के पवित्र भाव का नाम वसुदेव है जो आत्मदर्शन करे से इश्वर दर्शन होता है। आत्मदोष दर्शन किये बिना ईश्वर दर्शन नहीं होता प्रदोष दर्शन परमात्मा के दर्शन में विघ्न कारक है सद्गुण, सद्बुद्धि का मेल होने पर प्रभु का प्राकट्य जीवन में होता है।
आयोजन कर्ताओं की ओर से मिश्री माखन का प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान राजेश्वरी भट्ट, मनीष भट्ट, कुलदीप कुंवर, सतीश भट्ट, पवन प्रकाश चन्द्र, अनुराग भट्ट, देव प्रकाश बडोनी, संजीव कोठारी, दिनेश जोशी, संभु जोशी, आचार्य अमरदेव भट्ट, अनिता भट्ट, इंदु भट्ट, संतोषी, सरिता, अंजू, उषा, ममता, आयुषी, विमला, सुबोधनी जोशी आदि मौजूद रहे।