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रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा इस बार भी उत्तराखंड में चुनाव के बड़े मुद्दे

एसडीसी फाउंडेशन ने ऑनलाइन सिटीजन फीडबैक के आधार पर जारी की मूड ऑफ़ उत्तराखंड रिपोर्ट,

देहरादून।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा प्रमुख चुनावी मुद्दे बनने जा रहे हैं। एसडीसी फांडेशन ने अपनी विधानसभा चुनाव संबंधी तीसरी रिपोर्ट, मूड ऑफ़ उत्तराखंड में ऑनलाइन सिटीजन फीडबैक के आधार पर यह दावा किया है।

हालांकि फाउंडेशन ने यह भी साफ किया है कि यह रिपोर्ट सिर्फ 200 से ज्यादा लोगों द्वारा दिये गये ऑनलाइन कम्नेट्स पर आधारित है, ऐसे में इसे पूरी तरह वैज्ञानिक तो नहीं कहा जा सकता लेकिन यह उत्तराखंड की जनता के मूड की तरफ संकेत जरूर करती है।

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से आम लोगों से चुनावी मुद्दों को लेकर उनकी राय मांगी थी। लोगों से पूछा गया था कि 14 फरवरी 2022 को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या रहेगा । 203 यूजर्स जिसमे से 141 ने फेसबुक पर और 62 ने ट्विटर पर इस सिटीजन फीडबैक में हिस्सा लिया। अधिकांश लोगों ने एक से कई ज्यादा मुद्दे चिन्हित किए।

अनूप नौटियाल के अनुसार उनके प्रश्न पर सोशल मीडिया यूजर्स की ओर से मिली प्रतिक्रिया का विश्लेषण करें तो साफ संकेत मिलते हैं कि इस बार भी चुनाव में रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा। उनके अनुसार इस सर्वे में सबसे ज्यादा 46 प्रतिशत यूजर्स ने रोजगार और हेल्थ केयर को इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बताया है। 34 प्रतिशत लोगों को शिक्षा को तीसरा प्रमुख चुनावी मुद्दा माना है।

अनूप नौटियाल के अनुसार 25 प्रतिशत लोगों ने भूकानून को चौथा सबसे बड़ा मुद्दा चिन्हित किया है। 22 प्रतिशत लोग पलायन और 14 प्रतिशत भ्रष्टाचार को विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं। इसके अलावा 12 प्रतिशत लोगों की नजर में इंफ्रास्ट्रक्चर और 8 प्रतिशत लोगों की नजर में पर्यावरण प्रमुख चुनावी मुद्दा है।

5 प्रतिशत लोग गैरसैंण राजधानी और इतने ही लोग बिजली -पानी जैसे मामलों को प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में देखते हैं। अनूप ने कहा की प्रदेश के राजनैतिक दलों को पब्लिक के मूड के अनुसार अपने मैनिफेस्टो और नीतियों को उत्तराखंड में धरातल पर उतारने के गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। रिपोर्ट को बनाने में संस्था के विदुष पांडे, प्यारे लाल और प्रवीण उप्रेती का सहयोग रहा।

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