देहरादून। संसार को नादानी मजबूरी में छोड़ोगे तो दुःख होगा, समझकर परखकर छोड़ना या त्याग करना आनंददायी होता है । किसी बात को मानने से जानना श्रेष्ठ जबकि जानने से भी अनुभव श्रेष्ठ होता है। भावना से कर्तव्य श्रेष्ठ होता है माता पिता के प्रति सेवा की भावना रखी और सेवा नहीं करी तो वह भावना नहीं होती।
उक्त विचार ज्योतिष पीठ व्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगाई जी ने 43 / 2 सेवक आशाराम रोड देहरादून में श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त किए । उन्होंने कहा की “धर्मो विश्वस्य जगतः” प्रतिष्ठा जिससे इस लोक में अभ्युदय और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति हो उसे धर्म कहा जाता है । ईश्वर सभी धर्मों में विद्यमान है । श्री कृष्ण जी कहते हैं “मई सरमिद्म प्रोक्तम सुत्रे मणिगण इव” अर्थात इस जगत में मणियों के भीतर सूत्र विद्यमान है प्रत्येक मणि एक विशेष धर्म मत या संप्रदाय कहा जा सकता है । स्थूल मणियां एक एक धर्म है, और प्रभु ही सूत्र रूप में सब में विद्यमान है ।
ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं मिलती । जितना मनुष्य दुखी रहता है ,उतना एकाकी रह जाता है। जबकि जितना सुखी उतना सब के साथ हो जाता है । इसलिए दुख बांटा नहीं जाता बल्कि भोगना पड़ता है। सुख व आनंद को बांटा जा सकता है दुख जो भागता है उसका दुख बढ़ता है जो दुर्लभ अप्रयाय है। जो मन से आप सोच नहीं सकते वहां सब बिना भोगी ही भक्ति से उपलब्ध हो जाएगा तो प्रयत्न करने की आवश्यकता नहीं है ।।
परोत्कर्ष असहन हमारे जीवन पथ की सबसे बड़ी बाधा है। अंतिम सांस तक कर्म करते रहना आवश्यक है । जरा सा भी जो समय की बर्बादी करता है वहां सोचनीय व्यक्ति है, ज्ञान बिना मुक्ति नहीं मिलती। जितना मनुष्य सुखी उतना भ्रमित हुआ। जितना दुखी उतना एकाकी होता है । अपने बुराइयां सुनकर मन को स्थिर रखने वाला व्यक्ति जीवन पथ पर आगे बढ़ता है ।
यह लोग रहे मौजूद,
प्रवीण ममगाई, कामाक्षी ममगाई, कार्तिक ममगाई, विनायक ममगाई, जगदीश प्रसाद ममगाई, भगवती प्रसाद ममगाई, प्रेमचंद्र ममगाई, प्रकाश चंद्र ममगाई, अरविंद ममगाई, वीना जोशी, नीरा नौटियाल, रुचि भट्ट, संजय भट्ट, डॉक्टर विपिन वैश्य, डॉक्टर मीनू वैश्य, शेफाली सिंगल, शिवप्रसाद ममगाई, पुरुषोत्तम ममगाई, घनानंद ममगाई अध्यक्ष गढ़वाल सभा के रोशन धस्माना, उपाध्यक्ष निर्मला विष्ट, महासचिव गजेन्द्र भण्डारी, प्रवक्ता अजय जोशी, संतोष गैरोला, दिनेश सेमवाल, भैरव सेना के अध्यक्ष संदीप खत्री, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य दिवाकर भट्ट ,आचार्य हर्षपती घिल्डियाल, आचार्य गुलशन मिश्रा, सूरज उपाध्याय, प्रकाश भट्ट, महिला प्रकोष्ठ की अनिता थपलियाल, डाक्टर शेखर आदि मौजूद रहे।