देहरादून। देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने उत्तराखंड में युवाओं को रोजगार व टिहरी बांध से राजश्व बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जिसमें बताया गया कि राज्य के युवाओं की बेरोजगारी दर 10.99 % जबकि शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर 17.4% है जो राज्य के युवाओं के लिए बहुत चिंताजनक है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में उत्तराखंड सरकार के उद्योग विभाग ने शासनादेश जारी कर राज्य के मूल निवासियों के लिये प्राइवेट कम्पनियों के लिये भी 70 % रोजगार को अनिवार्य किया गया था, किन्तु आजतक युवाओं को इसका संपूर्ण लाभ नही मिल पाया।
वहीं दूसरी तरफ टीएचडीसी की ओर से संचालित टिहरी बांध में अभी तक राज्य को मात्र 12 % आय अर्जित होती है, जबकि बांध की शेष आय उत्तर प्रदेश व भारत सरकार को जाती है। टिहरी बांध व राज्य में अन्य बांध बनने से राज्य का पर्यावरण ढांचा बहुत प्रभावित हुआ है और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 में विभिन्न धाराओं
व पद्मविभूषण स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा के कथन ” Ecology is Permanent Economy ” से प्रेरणा के आधार पर टिहरी बांध से अर्जित सम्पूर्ण 100% आय उत्तराखंड राज्य को दिलाने की मांग की है। याचिका में तथ्य दिये गये की टिहरी बांध का सम्पूर्ण भाग उत्तराखंड में ही स्थित है, लिहाजा उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुरूप इस पर सम्पूर्ण अधिकार उत्तराखंड राज्य का बनता है।
याचिका में उत्तराखंड सरकार के 2006 के राज्य के मूलनिवासी के 70% रोजगार हेतु शासनादेश के अनिवार्य रूप से पूरे प्रदेश की प्राइवेट इकाइयों में अनिवार्य रूप से लागू करने की भी माँग की गई है, जिसे लागू करने से राज्य में युवाओं को अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे।
गौरतलब है कि देहरादून निवासी याचिकाकर्ता अभिनव थापर मूल रूप से टिहरी बांध-विस्थापित परिवार से है और सामाजिक कार्यों में अपना योगदान कई रूप से देते रहते है। उन्होंने कहा है कि 70 % प्रतिशत रोजगार का लाभ उत्तराखंड के युवाओं को मिलना चाहिए।
जनहित याचिका के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश युक्त पीठ ने इस याचिका के उत्तराखंड राज्य को टिहरी बांध के राजस्व व प्रदेश के युवाओं के रोजगार बढ़ाने के विषय का संज्ञान ले लिया। इस संदर्भ में सरकार से चार हफ़्तों में अपना पक्ष रखने का आदेश जारी किया गया है।