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उत्तरांचल यूनिवर्सिटी ने ईकोलिम्पिक्स प्रतियोगिता में अव्वल

श्री राम सेंटेनियल स्कूल ने ग्रीन गुरुकुल प्रतियोगिता में पाया प्रथम पुरुस्कार

देहरादून। वेस्ट वॉरियर्स संस्था के प्रोजेक्ट YUWA (यूथ यूनाइटेड फॉर वेस्ट एंड क्लाइमेट एक्शन) जो पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की सीएसआर शाखा, पहल फाउंडेशन द्वारा समर्थित है, के अंतर्गत हुए इंटर-कॉलेज (ईकोलिम्पिक्स) एवं इंटर-स्कूल (ग्रीन गुरुकुल) प्रतियोगिताओं के सम्मान एवं पुरस्कार समारोह का आयोजन आईआरडीटी देहरादून के ऑडिटोरियम पर किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रदीप कुमार रावत (मुख्य शिक्षा अधिकारी) द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

इस प्रतियोगिता में देहरादून के 41 स्कूल और 24 कॉलेजो द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में करीब 272 लोगों ने पहुंच कर इस समारोह की शोभा बढ़ाई, जिसमें छात्र-छात्राएं और उनके परिवार के सदस्य मौजूद रहे।

कार्यक्रम में पहुंचे विशेषज्ञों की चयन प्रक्रिया के बाद ईकोलिम्पिक्स प्रतियोगिता में उत्तराँचल यूनिवर्सिटी ने प्रथम पुरुस्कार, दून विश्विद्यालय ने द्वितीय पुरुस्कार एवं आईएमएस यूनिसन विश्विद्यालय ने तृतीया स्थान प्राप्त किया साथ ही ग्रीन गुरुकुल प्रतियोगिता में श्री राम सेंटेनियल स्कूल ने प्रथम, पीएम केवी आईएमए स्कूल ने द्वितीय स्थान तथा, दून इंटरनेशनल स्कूल ने तृतीया स्थान प्राप्त किया।

चयन प्रक्रिया के लिए कार्यक्रम पर पहुंचे हमारे विशेष्यज्ञों में ग्रीन गुरुकुल प्रतियोगिता की एक्सटर्नल जूरी के रूप में अमृत मारबानियांग बुरेट, परियोजना पुरकुल की निदेशक और ईकोलिम्पिक्स प्रतियोगिता के एक्सटर्नल जूरी के रूप में प्रनव गोयल, वन्यजीव संरक्षण सोसायटी के सचिव एवं स्वच्छता ब्रांड एम्बैसडर इस समारोह में उपस्थित रहें।

बजाज इंस्टिट्यूट ऑफ़ लर्निंग फॉर डेफ से आए विशेष विद्यार्थियों द्वारा पानी के मूल्य और उसको बचाने के लिए “माइम एक्ट” नाटक की प्रस्तुति भी की गई।

मुख्य अतिथि प्रदीप कुमार रावत द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया की कचरा प्रबंधन अब एक जरुरत बन गयी है और देश की युवा पीढ़ी आगे आकर अब इसकी स्वयं से जिम्मेदारी ले तो बेहतर होगा। विद्यालय, कॉलेज स्तर से विशेष कार्यक्रम होने चाहिए और कचरे के प्रबंधन पर खुले संवाद होने चाहिए।

वहीं, वेस्ट वॉरियर्स संस्था के सीईओ विशाल कुमार द्वारा अपनी कचरे से जुड़ी कहानी और कैसे एक कचरा करने वाले से आज वो कचरे के लिए काम करने वाले बने, का अपना अनुभव सबके साथ साँझा किया। साथ ही, जब वह देश-विदेश की यात्रा पर जातें हैं तो अपना कचरा साथ ले कर वापस आते हैं ताकि वह रीसायकल हो सके।

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