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मनुष्य देह प्राप्त कर मुक्ति पाने के लिए जप तप की महत्ता बताई गई: ममगाईं

*सरस्वती विहार विकास समिति अजबपुर खुर्द द्वारा आयोजित शिव शक्ति मंदिर में शिव महापुराण के दूसरे दिन सोमवार को कथा में उमड़े श्रद्धालु

देहरादून।
प्रेम की भावना कभी हारने नहीं देती, नफरत की भावना कभी जीतने नहीं देती। मानवीय ज़िंदगी तो वास्तव में यह है कि लोग देखते ही खुश हो जाएँ, मिलते ही स्वागत करें, बात करने में आनंद अनुभव करें और संपर्क से तृप्त हो जायें। एक बार मिलने पर दुबारा मिलने के लिए, यह वक्तव्य अजबपुर खुर्द सरस्वती विहार शिव शक्ति मंदिर समिति द्वारा आयोजित शिवपुराण कथा में प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगांई ने व्यक्त किये।

कथा के दूसरे दिन आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि
इस प्रकार की मधुर जिंदगी उसी को मिलती है जो मनुष्यता के लक्षण, शिष्टाचार और विनम्रता को अपने व्यवहार में स्थान देता है। शिव क्षेत्र की चर्चा करते हुए ममगाईं ने कहा जो शिवलिंग ऋषियों ने स्थापित किये हो वहाँ 1000 अरन्ति तक पवित्र माना जाता है। देवताओं के द्वारा स्थापित शिवलिंग के चारो ओर 1000 हाथ स्थान पवित्र मानते हैं, साथ ही इन्हें स्वयम्भू कहा जाता है। वहां 1000 धनुष स्थान पवित्र मानते हैं धनुष का प्रमाण 4 हाथ का एक धनुष होता है। पुण्य क्षेत्र में कुएं बाबड़ी सरोवर ये सब शिव गंगा स्वरूप माने जाते हैं । यहाँ दान व वृक्ष पूजन करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है । शिव क्षेत्र में पितृ कर्म सपिंडी कर्म करने से भी मुक्ति हो जाती है भारतवर्ष ही शिव क्षेत्र माना गया है यहाँ पर जन्म बड़े पुण्य से मिलता है।

मनुष्य देह प्राप्त कर मुक्ति पाने के लिए जप तप की महत्ता बताई गई। मनुष्य शरीर पाकर एक दूसरे से प्रेम सौहार्द का वातावरण बनाकर रहना ही मनुष्यता है। अंतःकरण की शुद्धि व कर्तब्य बोध होने पर पुण्य पाप दोनों से मुक्ति मिल जाती है। अद्वेत तत्व विशुद्ध चिन्मय आत्मा के बाद प्रभु का साक्षात्कार होता है। जीवन मे विषय बिष के समान है इससे छुटकारा पाने के लिए कथा सत्संग की आवश्यकता होती है। जब ब्रह्मा को अहंकार हुआ था तो उनका सिर भगवान शंकर ने काटकर दुर्भूधि मिटाई व जब सद्बुद्धि हुई तब उन्होंने सृष्टि रचने के लिए विवेकदृष्टि बुद्धि पर सवार होकर सृष्टि सृजन में सफलता प्राप्त की।

इस अवसर पर पंचम सिंह विष्ट अध्यक्ष, सचिव गजेंद्र भण्डारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बी एस चौहान, उपाध्यक्ष कैलाश तिवारी, कोषाध्यक्ष विजय सिंह, वरिष्ठ मंत्री अनूप सिंह फर्त्याल, शिव शक्ति मंदिर समिति सयोजक मूर्ति राम बिजल्वाण, सह सयोजक दिनेश जुयाल, प्रचार सचिव सोहन रौतेला, मंगल सिंह कुट्टी, लेखराज सिंह बिष्ट, जय प्रकाश सेमवाल, अनिल गुसाई, दीपक काला, कुलानंद पोखरियाल, किरण सिंह राणा, तिलक रावत, उर्मिला रावत, सारिका गीता गुसाईं, ऋचा रावत, कर्ण राणा, पुष्कर गुसाईं, सुदेश बाला मित्तल, हेमलता नेगी, उदय नौटियाल, आचार्य सुशान्त जोशी, आचार्य अखिलेश, कैलाश रमोला नितिन मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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