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कलश यात्रा के साथ शुरू हुई श्रीमद्भागवत भागवत कथा


देहरादून।

भोग प्रधान होने पर परमात्मा से मनुष्यों की दूरी होती है, जिसने सत्य को नही पहचाना जीवन मे वह भारी सुंदर मनमोहक वस्तुओं का परित्याग नही कर सकता। जीवन को सफल बनाने वाला मनुष्य परम् लक्ष्य को प्राप्त करता है। जीवन की उदंडता व्यक्ति को स्वजनों से दूरी करवाती है। यह वक्तव्य शनिवार को तेगबहादुर रोड देहरादून में भट्ट लोगों द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत भागवत कथा में व्यक्त करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने व्यक्त किये।

कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन मे मनुष्य आसक्ति रहित कर्म में वर्ताव करता है। स्वभाव सुविचार की सुगंध जब आ जाये जीवात्मा परमात्मा का खिंचाव होता है । सुधार मनुष्य में जब होता है तो वैश्वानर नाम की अग्नि तथा अंतर बाह्य की प्रविर्ती मिट जाती जाती है। आसक्ति रहित व्यक्ति में शून्य की तरह व्यक्ति का स्वभाव होता है, जैसे शून्य के साथ 1 जोड़ने पर संख्या बढ़ जाती है ऐसे ही मनुष्य का व्यवहार भी प्रेम युक्त होता है समस्त प्राणियों के अंतःकरण की अशुद्धि ही स्व का अनहित होना आवश्यक होता है।

अनहित उपदेशक गुरु मन ही है धुंधकारी रूपी आत्मा शब्द स्पर्श रूप रस गंध वेश्याओं की आसक्ति चोरी बुरे कर्म के लिए अनहित उपदेशक ये पांचों वेश्याएँ गुरु है। काम, क्रोध, आदि सप्त ग्रंथि में जीव फंसता है।

भागवत जी के मूल में भक्ति का मतलब परमात्मा से जुड़ाव जबकि धुंधकारी का मतलब द्वेष पूर्ण गौ कर्ण जैसे सरल व्यक्ति से भव रोग से तारने वाली औषधि रूप श्रीमद्भागवत की कथा दोषों को मिटाने के बाद परम् लक्ष्य की प्राप्ति कराती है।

इससे पहले सुबह शोभा यात्रा अखिल गढ़वाल सभा से 108 महिलाओं के द्वारा पीत वस्त्रों में सिर पर कलश लिए हुए गोविद बोलो हरि गोपाल बोलो भजन गाते हुए कथा पंडाल में पहुंची। जहां पर पुराण पूजन व्यास पूजन ठाकुर जी के पूजन के साथ प्रथम दिवस की कथा प्रारम्भ हुई


आज विशेष रूप से राजेश्वरी भट्ट, मनीष भट्ट, सारिका भट्ट, कीड़ी देवी भट्ट, सतीश भट्ट, अनिता भट्ट, पवन भट्ट, सन्तोषी, प्रकाश चन्द्र, इंदु भट्ट, अनुराग, रक्षित, ममता बडोनी, देव प्रकाश बडोनी, आयुषी, ध्रुव, माधुरी, संजीव, अर्णव, दिनेश जोशी, विमला, शम्भू प्रसाद, सुबोधनी जोशी, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य शैलेन्द्र थपलियाल, आचार्य परमानंद ममगाईं, आचार्य दिवाकर सेमवाल, आचार्य दिवाकर भट्ट, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य द्वारिका नौटियाल, आचार्य अजय जुयाल, सुरेश जोशी, आदि भक्त गण मौजूद रहे।

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