देहरादून।
भागवत वह ग्रंथ है जिनके दर्शन करने से कृष्ण दर्शन का लाभ कलिकाल में प्राप्त होता है। कथा मनोरंजन के लिए नही बल्कि मनोभंजन के लिए होती है। सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि कथा मोक्षदायिनी है, यह अंतरंग विषय है जो सुखदेव परमहंस की समाधि को जिसका एक श्लोक तोड़ देता है। हमारे अंदर लोभ मोह ईर्ष्या को मिटाने वाला श्रीमद्भागवत है। उक्त विचार ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने सरस्वती विहार ब्लॉक ई अजबपुर में श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त किये।
गुरुवार को कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कथा सुनना यह आडम्बर का विषय नही, और नही इसमें आडम्बर किसी को करना चाहिए।
उत्तराखंड से वेद ज्ञान जल गंगा का उद्गम हुआ। गणेश जी ने चतुर्थी से चतुर्दशी तक महाभारत के लाख श्लोक लिखे । व्यास जी ने जल फल पत्तो से लिखने में जो ताप बढ़ गया था उसे शीतल किया। इसलिए गणेश उत्सव मनाया जाता है, जो विघ्न विनाशक है। जब मद पदों का अभिमान बढ़ता है तब महामारी दैविक घटनाएं सुव्यवस्थित करने के लिए मानव मात्र जीव मात्र को नियंत्रित करने हेतु परमात्मा अवतरित होते हैं ।
तीर्थ एकता के प्रतीक है दूर देशो से यात्री आ रहे हैं । सरकार का भी सम्मान देने का पूरा प्रयास है। क्षमता से अधिक होने पर यात्री परेशान होते हैं, पहले बरसात का भय रहता था मार्ग अवरूद्ध होगें किंतु, अब कोई भय नही रहेगा क्योंकि मार्ग चौड़े तथा टूटने पर तुरन्त खोल दिया जाता है । इसलिए अधिक भीड़ न करके समय समय पर 6 मास की यात्रा होती भी आसक्ति हैं धार्मिक जन यह प्रयास करें।
कथा से पूर्व निकाली गई भव्य शोभायात्रा में ठाकुर जी का जल धारा के रूप में अभिषेक हुआ । महिलाओं द्वारा पीत वस्त्र पहना जाना धारा का उल्टा अर्थात राधा का पीताम्बर है जो कि कृष्ण कि आराधिका है अर्थात जिनका सबसे मेल और प्रेम की भावना विध्यमान है वही राधा कृष्ण कथा की आराधिका भी हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से भागा देवी, रविंद्र बिष्ट, धर्मेंद्र, शिखा, अर्पिता, अस्मिता, पुष्पा, जयदीप असवाल, गीतांजलि, अनिष्का, भगवान सिंह, जोत सिंह, दीवान सिंह, आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल, वीरेंद्र दत्त बिजल्वाण, आचार्य हर्षपति घिल्डियाल, आचार्य संदीप भट्ट, आचर्य संदीप बहुगुणा, आचार्य प्रकाश भट्ट आदि मौजूद रहे।