कलियुग में देवी भागवत पुराण श्रवण करने से होता है उद्धार: ममगाईं
देहरादून।
सतयुग त्रेता द्वापर में यज्ञ, जप, तप, दान से मनुष्य का कल्याण होता था, किंतु कलयुग में व्यास जी ने समस्त पुराणों का सार अमृत पुराण के रूप में सब तक पहुंचाने का काम किया । यह देवी भागवत जनमेजय ने अपने पिता के मोक्ष के निमित व्यास जी के मुख से श्रवण की है इसमें कर्म का विधान है, उक्त विचार देवभूमि उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कथा मर्मग्य आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने श्रीमद देवी भागवत महापुराण में देवी का बहुत ही सुंदर चरित्र चित्रण करते हुए व्यक्त किए।
रविवार को कथा का वर्णन करते हुए आचार्य ममगाईं जी ने बताया कि धर्म से विमुख लोगो का उद्धार श्रीमद्भागवत एवं मोक्ष देने वाली देवी भागवत भुक्ति मुक्ति पितरों का उद्धार करने वाली है। देवी भागवत का आसविंन चैत्र बैशाख माघ और मलिन मास में श्रवण करना चाहिए। उन्होनें बताया कि इस कथा को श्रवण करने से प्रसेन की खोज में गए कृष्ण वासुदेव देवकी को प्राप्त हुए थे।
देवी का ही चरित्र है शक्ति के बिना शिव का अस्तित्व नही, नारी शक्ति के बिना नर का अस्तित्व नही, वन्द्य काक वंध्या मृत वत्सा स्त्री श्रवण करती है उसे पुत्र की प्राप्ति हो जाती है यह संसार परिवर्तन शील है यह त्रिगुणातित महामाया सर्वत्र ब्रह्मा विष्णु महेश को शक्ति प्रदान करती है साथ ही त्रिगुणातित होते हुए इस संसार मे आविर्भूत व तिरोभूत हुआ करती है एवम सगुणात्मिका विश्व जगत का नाटक रचा करती है यह ही देवी चरित्र है ।
आदि शक्ति प्रकृति उस शक्तिमान पुरुष के साथ अभेद रूपेण सर्वत्र निगमागम प्रतिपादित एवम सर्व शक्ति संपन्नता है श्रीमद देवी भागवत में इसका विवेचन किया है इसके परिणाम स्वरूप मूल तत्व पुराण का प्रतिपाध विषय होने के कारण महर्षि वेद व्यास जी ने इसमें 12 स्कंध उस महामाया का मूल प्रकृति का ही बाह्यअभ्यन्तर रूपेण चरित्र चित्रण है जिसमे देवी के गुणो का ही विवेचन किया गया है यू तो तृतीय स्कंध पंचम स्कंद में भगवती के निर्गुण सगुन रूपो का या जिसे महालक्ष्मी महा सरस्वती का वर्णन सातवें स्कन्ध में आध्यात्मिक वर्णन सुधि साधको के लिए आवश्यक है अर्थात वर्तमान समय या युग मे माताओं का वात्सल्य महिमा अकारण कृपा सबके लिए लोक प्रसिद्ध है। इस पुराण में अतीतकाल में मात्र जाती के लिए विशेषता देखी जाती है
कथा से पूर्व गढ़वाल सभा नेशविला रोड से 108 महिलाओं के की ओर से पारंपरिक ढोल नगाड़ों रणसिंघो के साथ दिव्य शोभा यात्रा निकाली गई।
जिसमें आज मुख्य रूप से कमलानंद भट्ट, जानकी भट्ट संजय भट्ट, गीता भट्ट, अक्षित भट्ट, सार्विल भट्ट, सोनी देवी, प्रभात किशोर, कौशल्या भट्ट, दिनेश, बीना, मित्रानंद भट्ट, देवेश्वरी भट्ट, रेखा भट्ट, मीना सेमवाल, रोशनी सकलानी, सुरेंद्र नौटियाल, दर्शनी नौटियाल, शैली कोठियाल, पिंकी सेमवाल, नंदा तिवाड़ी, रुचि नौटियाल, रुचि थपलियाल, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य दिवाकर भट्ट, आचार्य मुरली सेमवाल, आचार्य संदीप भट्ट, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य हर्षमणि चमोली आदि भक्त मौजूद रहे।