देहरादून।
कस्तूरबा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, कन्या गुरुकल, परिसर,देहरादून की ओर से आओ जाने कस्तूरबा गांधी विषय पर एक विचार विमर्श का आयोजन किया गया ।जिसमें हिन्द स्वराज मंच के बीजू नेगी ने कस्तूरबा गांधी के व्यक्तित्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कि कस्तूरबा केवल अपने ही बच्चों की माँ नही थी, वरन वो सेवाश्रम के हर व्यक्ति को अपनी ममता से सराबोर रखती थी। इसमें कोई शंका नही रही कि वो अपने पति की छोटी सी छोटी ज़रूरतों का ध्यान तो रखती थी। साथ ही आश्रमवासियों, अन्य लोगों मेहमानों का भी समान रूप से पूरा ध्यान रखती थी।
कस्तूरबा के अपने पति मोहन दास कर्म चंद गांधी के साथ संबंधों के बारे में एसके दास ने कहा कि कस्तूरबा हमेशा गांधी जी के साथ तर्क सहमत होने पर ही उनके साथ रहती थी। जबकि कई बार उनसे बहस कर अपनी जिज्ञासा को भी शांत करती थी।
परिसर की समन्वय प्रो रेणु शुक्ला ने उनके व्यक्तित्व को प्रेरणा दायक बताया। उन्होंने सभी को उनसे प्रेरणा लेकर स्त्री चेतना को आगे बढ़ाने के लिए कहा। साथ ही कहा कि कस्तूरबा गांधी के अंदर सीखने की ललक हमेशा रही।
समाजसेवी दीपा ने कहा कि बापू अगर सत्य है तो कस्तूरबा अहिंसा की प्रतिमूर्ति है।
पूर्व प्रधानाचार्य एमकेपी कॉलेज ने कहा कि कस्तूरबा ने हर परिस्थितियों में गांधीजी का साथ दिया वो गांधी जी के जीवन मे ताने बाने सी एकरूप हो गयी थी।
डॉ अर्चना डिमरी ने कहा कि वह सही मायने में एक विराट वृक्ष की बीज स्वरूप थी, जिन्होने गांधी को विराट वृक्ष के रूप में पल्लवित करने में अपना सर्वत्र त्याग किया।
विचार विमर्श में कन्या गुरुकल परिसर के विभिन्न विभागों से छात्रओं व शिक्षकों ने प्रतिभाग किया प्रो.हेमलता, प्रो निपुर, डॉ हेमन , डॉ नीना, डॉ बबिता, डॉ ममता , डॉ रेखा, डॉ अंजुलता, कविता, दीपिका , डॉ निशा डॉ प्राची, डॉ सुनीति आदि मौजूद रहे।