देहरादून।
बिना विद्या के किये गए कर्म से जीव बन्धनों से मुक्त नही हो सकता। इसके लिए मानव जीवन को सत्संग में अर्पित करना चाहिए।
उक्त विचार आचार्य तुलसीराम पैन्यूली जी ने ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी के स्वर्गीय पिताजी ईश्वरी दत्त ममगाईं जी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के विराम दिवस पर व्यक्त किये।
मंगलवार को कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रगति का युग है, मनुष्य बहुत आगे बढ़ गया है। आज मानव धर्म ही सर्वोपरि धर्म है। मानव सेवा सबसे बड़ा पुण्य है, हम तो मनु से पूर्व उस अंधे युग मे लौट आये हैं जब मनुष्य पशुओं की भांति विचारहीन और बिना पूंछ का जानवर था। जो केवल स्वार्थ में ही घिरा रहता था और उसके आवेश में कुछ भी कर गुजरता था।
ऐसा ही कुछ हाल शिक्षित सभ्य व प्रगतिशील जनों का भी हो गया है। विचारशील व ज्ञानवान का दम भरने वाले ये लोग स्वार्थ लिप्सा के लिए कुछ भी करने से नही हिचकते । मनुष्य को इस स्वार्थ की भावना से सत्संग ही दूर कर सकता है। कथा के विराम दिवस पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, केदारनाथ की विधायक शैला रानी रावत, प्रसिद्ध उद्योगपति मनोहर लाल जुयाल, टपकेश्वर के महंत कृष्णागिरी महाराज, कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा, अरुण शर्मा अध्यक्ष ब्राह्मण सभा, रघुबीर सिह राणा, निर्मला जोशी, धर्म पत्नी गणेश जोशी, रोशन धस्माना अध्यक्ष गढ़वाल सभा, संतोष खंडूरी, सुरजा देवी ममगाईं, मंजू ममगाईं , पारेश्वर ममगाईं, राकेश ममगाईं, गिरीश ममगाईं, आयुष ममगाईं, आयुषी, राजेश ममगाईं, आचार्य दामोदर सेमवाल, मीना सेमवाल, शुभम, आशीष, प्रियांक, प्रियांशी, निशा, शालिनि, आचार्य विजेंन्द्र ममगाईं, आचार्य नत्थीप्रसाद भट्ट, बृंदावन से आये राजू ममगाईं, गोले ममगाईं, आचार्य जय कृष्ण अन्थवाल, विनोद ममगाईं, सुनील ममगाईं, बिजया ममगाईं, पुरुषोत्तमाचार्य महाराज आदि भक्त मौजूद रहे।