देहरादून।
वेद पुराण शास्त्र मनुष्य को केवल ज्ञान ही नही बल्कि, प्रकृति के सभी मूलभूत यम, नियम, संयम, सामान्य विज्ञान व कर्तब्य बोध कराता है। क्रियमाण कर्म नया सवेरा बन के आता है। उक्त विचार आचार्य तुलसीराम पैन्यूली जी ने ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी के पिताजी स्वर्गीय ईश्वरी दत्त ममगाईं जी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस रविवार की कथा में व्यक्त किये।
उन्होनें कहा कि दूसरों की बुराई सुनने वाला अज्ञानी है। माता पिता से द्वेष रखने वाला व्यक्ति का जीवन व्यर्थ हो जाता है। प्रत्येक वर्ण को ईश्वर भक्ति का आदेश शास्त्रों द्वारा दिया गया है। बस यही कर्म योग है।
कलियुग में भक्ति के द्वारा परमात्मा को मिला जा सकता है। धर्म दो प्रकार के होते हैं, पर और अपर। धर्म भगवान में होना पर धर्म फल प्राप्ति परमात्मा प्राप्ति है। दूसरा अपर धर्म ईश्वर भक्ति को छोड़कर केवल वर्णाश्रम धर्म का पालन है। उसका परिणाम स्वर्गादिक लोक प्राप्ति है । अपर धर्म अधिक वर्णाश्रम में परिवर्तन शील है किंतु पर धर्म सदा एकरस एवम स्वाभाविक है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, विधायक उमेश शर्मा काऊ, सुशीला बलूनी, बीरेंद्र दत्त उनियाल, जगमोहन उनियाल, पारेश्वर ममगाईं, राकेश ममगाईं, प्रेमा ममगाईं, मंजु ममगाईं, सूरजा देवी ममगाईं, सरोजनी थपलियाल, सुरेश पुण्डीर, रघुवीर सिंह ज्याडा, वृन्दावन से आये पुरषोत्तमाचार्य महाराज जी रावल यमनोत्री, जगमोहन उनियाल, प्रकाश सेमवाल, जगन्नाथ सेमवाल, शैलेन्द्र गोदियाल देवी प्रसाद सेमवाल, उपासना ममगाईं, गिरीश, आयुषी ममगाईं, आयुष ममगाईं, प्रियाशीं ममगाईं, प्रियाश॔ ममगाईं, अमन ममगाईं, संगीता डोभाल, देवि प्रसाद सेमवाल, राजेन्द्र ममगाईं, अनुपमा प्रसाद ममगाईं, देवी प्रसाद ममगाईं, दीपक नौटियाल, चन्द्रबल्लभ बछेती, आचार्य राम लखन गैरोला, आचार्य कामेश्वर सेमवाल, रघुवीर सिंह राणा, कपूर सिंह पंवार, डॉक्टर शिव प्रसाद सेमवाल, अजय नौटियाल, विनोद चमोली, दिनेश, सुरेंद्र सिंह रावत, आनंद चमोली, मनीष कुकरेती, ललित पंथ, कीर्ति राम उनियाल, विजेंदर ममगाईं आदि मौजूद रहे।