देहरादून।
प्राणी दीन होकर ईश्वर के चरणों मे रहे तो उसके मन पर अभिमान प्रभावकारी नही होता है। ईश्वर हमे योग्यता से बढ़कर देता है, अतः ईश्वर ने जो दिया है इसके विपरीत सोचने वाला दरिद्र है। सभी दोषों की उत्पत्ति अभिमान से होती है।
उक्त विचार पंचम दिवस की कथा में ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी के स्वर्गीय पिताजी ईश्वरी दत्त ममगाईं जी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य तुलसीराम पैन्यूली जी ने व्यक्त करते हुए कहा।
शनिवार को कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि संसार की किसी वस्तु में इतना मोह मत करो कि वह मोह प्रभु भजन चिंतन में विघ्न करे। विषयों के चिंतन से आत्म शक्ति का नाश होता है । घर छोड़ने की आवश्यकता नही है वरन घर मे सावधान रहने की आवश्यकता है। अहंकार भक्ति का शत्रु और विनम्रता शक्ति है। देश मे बढ़ती अशांति अधार्मिकता और असन्तोष का निदान केवल श्रीमद्भागवत तथा अन्य धार्मिक बताए मार्ग पर चलने से ही सम्भव है।
धर्म और शास्त्र सभी को जोड़ने की प्रेरणा देते हैं, जबकि वर्तमान समय मे विकृत राजनीति समाज को जाति जाति में तोड़ने का घातक कार्य कर रही है । लोग ज्ञानी तथा भक्त होने का दावा करते हैं, मगर आचार विचार से शून्य हैं। प्रभु में अनन्यता होने पर संसार के कुचक्र से हम छूट सकते हैं।
यह लोग रहे मौजूद,
इस अवसर पर मुख्य रूप से अपर धर्माधिकारी बदरी नाथ आचार्य राधा कृष्ण थपलियाल, केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल, रमेश नौटियाल, आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, सुरजा ममगाईं, पारेश्वर ममगाईं, गिरीश ममगाईं, राकेश ममगाईं, केबिनेट मंत्री गणेश जोशी, महापौर सुनील उनियाल गामा, महापौर अनिता ममगाईं ऋषिकेश, वीरेंद्र दत्त उनियाल, सुशीला बलूनी, ओम प्रकाश नौटियाल, गीताराम ममगाईं, सरोप सिंह रावत, देवेन्द्र दत्त पांडेय, राजेश्वरी ममगाईं, उपासना ममगाईं, विजय लक्ष्मी, अर्जुन सिंह गहरवार, विनोद चमोली, देवी प्रसाद ममगाईं, पूर्णानंद जोशी, हरीश बछेती, शिवचरण सिंह नेगी, संगीता डोभाल, अजय जोशी, रोशन धस्माना, सरस्वती बगवाड़ी, पिंकी गुसाईं, पुष्पा सुंदरियाल, दुर्गा पंत, मीना सेमवाल, सुरेंद्र नौटियाल, देवी प्रसाद सेमवाल, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य नत्थी प्रसाद भट्ट आदि मौजूद रहे।