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रुद्रप्रयाग सीट पर बीजेपी को भारी पड़ सकती है आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं की नाराजगी,

बीजेपी ने सिटिंग विधायक भरत सिंह चौधरी पर दोबारा खेला है दांव,

रुद्रप्रयाग सीट पर आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, वाचस्पति सेमवाल, वीर सिंह रावत, कमलेश उनियाल, वीरेंद्र, अजय सेमवाल, विजय कपरवाण ने की थी दावेदारी पेश,

देहरादून। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार घोषित करने के बाद बीजेपी और कांग्रेस से नाराज प्रत्याशियों की बगावत साफ देखी जा सकती है। प्रदेश की कई सीटों पर दावेदारी जता चुके उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर चुके है। इसी कड़ी में रुद्रप्रयाग सीट से दावेदारी जता चुके शिव प्रसाद ममगाईं की खामोशी व नाराजगी बहुत कुछ संकेत दे रही है। सूत्रों की मानें तो इस सीट पर बीजेपी को ममगाईं की नाराजगी भारी पड़ सकती है।

गौरतलब है कि आचार्य ममगाईं पिछले कई सालों से पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रहे है। पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव व संसदीय चुनाव सभी छेत्रों में पूरी निष्ठा से काम किया। बावजूद इसके उनको टिकट न मिलने से उत्तराखंड के संत समाज, उत्तराखंड विद्वत सभा अन्य धार्मिक संस्थाओं ने भी नाराजगी व्यक्त की है।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि रुद्रप्रयाग सीट पर बीजेपी का दांव कितना सही बैठता है।
वहीं टिकट न मिलने पर आचार्य ममगाईं ने संगठन के सहयोग व आएम जनता का आभार व्यक्त किया। इसके अलावा उन्होंने पार्टी कार्यकारणी के फैसले पर चुप्पी साधी है।

उन्होंने बताया कि राज्यमंत्री रहते हुए उन्होंने रुद्रप्रयाग के विकास का हरसंभव प्रयास किया। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य ,परिवहन, सड़क से जुड़ा मामला हो या वर्षों से अटके सैनिक स्कूल का निमार्ण हो या पर्यटन होम स्टे को विकसित करने की पहल सभी के लिए आचार्य ममगाईं ने प्रयास किये है।

निर्दलीय चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि
आचार्य जी ने जनपद, प्रदेश तथा केन्द्रीय कार्यकारणी के निर्णय पर कुछ बोलने से चुप्पी साध रखी है ।

निर्दलीय दावेदारी के बारे में पूछने पर आचार्य जी ने कहा कि संगठन का निर्णय सर्वोपरि है। मेरे मन में ऐसा कोई भी विचार नही है, लेकिन मन जरूर व्यथित है । शायद संगठन ने मेरे कार्यों पर विशेष ध्यान नहीं दिया । आचार्य ने कहा कि पीएम मोदी के विजन और राष्ट्र के विकास के लिए भारतीय जनता पार्टी को मजबूती देने से ही हमारें राष्ट्र का विकास हो सकता हैं।

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