देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह और डोईवाला विधानसभा से मौजूदा भाजपा विधायक रावत ने बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक लंबा पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव न लड़ने की बात कही है। साथ ही आग्रह किया है उन्हें चुनाव ना लड़ाया जाए, बल्कि वो पूरी मेहनत पार्टी को वापस सत्ता में लाने में करेंगे। उन्होंने कहा है की वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मिलकर इस चुनाव में काम करेंगे.
त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह पत्र जैसे ही सामने आए तो प्रदेश में अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी, कई लोग कह रहे हैं की वो इस लिए चुनाव नही लड़ना चाहते क्योंकि वो जानते हैं कि उनके लिए इस चुनाव में परिस्थितियां सही नही है. और डोईवाला से अगर वो चुनाव लड़ते हैं तो वो हार भी सकते हैं. दूसरी तरफ अगर सामने हरक सिंह रावत आ गए तो मामला एक तरफा हो सकता है.
दूसरी तरफ अब हरक सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर कई लोग सोशल मीडिया पर तुलना भी करने लगे हैं. लोग उदाहरण दे रहे हैं कि आखिर जो व्यक्ति प्रदेश का साढ़े चार साल सीएम रहा उन्हें पूरी आजादी के साथ भाजपा हाईकमान ने सरकार चला दी और जब भाजपा को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है तब उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया. अब जब उन्हें चुनाव लड़कर भाजपा को वापस सत्ता में लाना था तब उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए.
दूसरी तरफ हरक सिंह रावत के कई समर्थक अब उनके काम को गिना रहे हैं, कई कह रहे हैं की हरक सिंह रावत ने अपनी विधानसभा के लिए क्या नही किया, केंद्रीय विद्यालय लाने में अपना योगदान दिया तो चिल्लर खाल रोड़ को खुलवाया, कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए अपनी ही सरकार से अड़ गए और मेडिकल कॉलेज के लिए बड़ा फंड भी पास करवाया इतना ही नही और भी कई काम करवाये और आज भाजपा हाईकमान समझ नही रहा है. आज हर कोई उन्हें दोषी बना रहा है।