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धर्म की रक्षा के लिए होता है प्रभु का अवतार: ममगाईं


देहरादून। भगवान श्रीराम व कृष्ण सभी का अवतार धर्म की रक्षा व पाप का नाश करने के लिए हुआ है। आज उनके अनुयायियों को दूषित विचारों, पापों एवं अनाचार उन्मूलन के लिये आगे आना चाहिए। दुर्जन अत्याचारी से सहशनशीलता या विन्रमता का व्यवहार करना उसके पापों को प्रोत्साहित करने के सामान है। यह विचार डिफेंस कॉलोनी देहरादून में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य श्री शिव प्रसाद ममगाईं ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आज के बच्चों में संस्कार न दिए जाने के कारण नई पीढ़ी गलत रास्ते पर जा रही है।

शुक्रवार को कथा का वर्णन करते हुए आशीर्वाद विषय के बारे में जानकारी देते कथावाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि जो काम बड़ा अनुष्ठान नही करवा सकता, आशीर्वाद का कवच उसे कर सकता है। रावण ने महादेव से वर मांगकर आशीर्वाद लिया। हिरण्यकश्यप ने वर मांगकर आशीर्वाद लिया। बावजूद इसके दोनों का क्या हश्र हुआ सब जानते है। द्रौपदी ने भीष्म पितामह से आशीर्वाद मांगा था कि वह सौभाग्य वती रही। व्रज भक्त अर्थात निसाधन भक्ति जिसके पास साधन तो है, पर साधन का अभिमान नही है । निसाधन भक्ति है इसके लिए भगवान श्री कृष्णा लीला का मनोरथ करते रहें। मनोरथ सिद्ध प्रभु की कृपा से होती है। जो मार्ग पर चलते चलते प्रभु काम नही करते उनकी आंखों मैं काम का प्रवेश होता है ।

मन परमात्मा का चिंतन न करे तो, संसार के चिंतन मैं पड़ता है। जिसका परमात्मा के साथ चिंतन है वह वंदनीय है । सब अभिमान को छोड़कर जीव जब परमात्मा की शरण मे जाता है तो,ठाकुर जी उसकी तरफ देखते है।


वहीं आचार्य ममगाईं जी ने ब्रज व मथुरा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा की मथुरा मैं ऎश्वर्या है पर प्रेम नही है । जिस कारण आँखे भीग जाती है। प्रेम का स्वभाव है जो मनुष्य रोता है तो उस रुदन मैं सुख मिलता है। श्री उद्धव जी भगवान की सेवा मैं थे उद्धव जी विचार करते है कि वह जब भगवान जी अकेले बैठते थे तो उनकी आँखों मे आँशु आते है, क्या मेरी सेवा मैं कोई भूल है पूछना जरूरी है, सायकल प्रभु का हृदय पिघला प्रेम को प्रकट करना अच्छा नही लगता उद्धव से प्रभु कहते है मथुरा के लोग मुझे राजा मानकर दूर से प्रणाम करते है यह प्रेम नही करते इसलिए देवकी माता की थाल परोसने पर यशोदा माता का प्रेम याद आता है, मथुरा मैं लोग छप्पन भोग देते है मगर प्रेम नही इस प्रसंग पर लोग फफक कर रो पड़े।

इस अवसर पर प्रसन्ना देवी, लखेड़ा, अतुल, राहुल, मनोज, गगोत्री देवी, विलोचना देवी, हेमलता, विनोद, हरी प्रसाद , दीपा माता , बीना तनेजा, अमित, अश्विन मुंडेपी, अनिता कोठारी, आशुतोष काला प्रधान आदि मौजूद रहे।

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