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भागवत कथा में धर्म का का महत्व बताया

धर्म शास्त्र सभी को जोड़ने की प्रेरणा देता है:ममगाईं,


देहरादून । धर्म के नाम पर हो रहे पाखंड से लोगो मे धर्म के प्रति जुड़ाव कम देखने को मिल रहा है। जबकि धर्म शास्त्र सभी को जोड़ने की प्रेरणा देते है। मानव कल्याण वसुदैव कुटुम्बकम का उद्घोष भी धर्म शास्त्र से निकला है। यही धर्म शास्त्र की महिमा है। यह विचार ज्योतिषपीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने डिफ्फेन्स कॉलोनी देहरादून मैं चल रही श्रीमद भागवत कथा मैं व्यक्त किए ।
कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि सदियों से भारत का धर्मशास्त्र पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता आया है। धर्म शास्त्र मैं वर्णित वसुदैव कुटुम्बकम का उदघोष भारतीय सभ्यता व दूरदर्शिता का परिचारक है, लेकिन धर्म के नाम पर हो रहे पाखंड से विचलित होकर धर्म प्रेमी व्यथित है, कलयुग मैं भगवान का नाम ही कल्याण का सबसे सुगम रास्ता है ।

जो एकाग्रचित होकर राम नाम का जप करते है परमात्मा उनके जीवन के सारे कष्टों का हरण करते है। आचार्य ने कहा कि भगवान कि भक्ति करने के लिए दर दर भटकने की जरूरत नही है। घर मे बैठकर भी भक्ति की जा सकती है । चंचल हृदय वालो को परमात्मा की प्राप्ति नही होती । गुरु केवल सिर पर हाथ रखकर मनुष्य का कल्याण कर देंगे। यह भ्रम है सच्चा गुरु वही है जो भगवान व भक्ति का महत्व बताकर सरलता की ओर ले जाए। इससे वह अपने जीवन मे ईमानदारी से जीविका पालन की प्रेरणा का स्रोत बने पाखण्डियों के पास भटकना भी पाप है । जब तक धराधाम पर गौ हत्या व भ्रूण हत्या बंद नही होगी तब तक भारतवर्ष स्वाधीन नही माना जायेगा ।

इस दौरान उन्होंने तीर्थो नदियों के प्रति श्रद्धा भावना बनाए रखने पर बल दिया । चतुर्थ दिवस की कथा मैं भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े धूम धाम से मनाया गया इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संसार की दौड़ स्वाभविक है किंतु इस दौड़ लौकिक पदार्थो कि प्राप्ति के लिए धर्म व सत्संग की सुविधा होगी। हर रोज आपके दिन का प्रारंभ अपने परमात्मा का वंदन करके होना चाहिए।

इस अवसर पर प्रसन्ना देवी लखेड़ा , अतुल, राहुल, मनोज, गंगोत्री देवी, विलोचना देवी, हेमलता, विनोद, हरिप्रसाद , दीपा, बीना तनेजा, अमित शर्मा, अश्विन मुंडेपी, अनिता कोठारी, आषुतोष काला प्रधान आदि मौजूद रहे।

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